
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार सुबह हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरकर एक नया इतिहास रच दिया।
यह सिर्फ उड़ान नहीं, बल्कि महिला शक्ति, आत्मनिर्भर भारत और भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता का उड़ता हुआ प्रतीक बन गया।
उड़ान के दौरान एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह और कई शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे। राफेल की गर्जना के साथ राष्ट्रपति का यह मिशन दिखाता है कि देश की कमान अब आकाश में भी नारी शक्ति संभाल रही है।
पहले भी रचा था इतिहास — सुखोई पर भी की थी सवारी
यह पहली बार नहीं जब राष्ट्रपति मुर्मू ने आसमान को छुआ हो। 8 अप्रैल 2023 को उन्होंने तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन (असम) से सुखोई-30 एमकेआई में उड़ान भरकर सबका दिल जीत लिया था। इससे पहले डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल भी ऐसा कारनामा कर चुके हैं।
यानि राष्ट्रपति भवन अब सिर्फ जमीन पर नहीं, आसमान पर भी राज करता है।
राफेल जेट — भारत का गर्व और दुश्मनों की नींद उड़ाने वाला पंछी
फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए राफेल फाइटर जेट को 2020 में भारतीय वायुसेना के 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज़’ में शामिल किया गया था।
27 जुलाई 2020 को भारत पहुंचा पहला स्क्वाड्रन आज देश की सुरक्षा का सबसे दमदार हिस्सा है।

राफेल का इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर (7 मई) में भी हुआ था, जिसमें इसने पाकिस्तान-नियंत्रित क्षेत्रों में आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर दिए थे।
यानि राफेल सिर्फ उड़ता नहीं, दुश्मनों के सपनों को भी ध्वस्त करता है।
आत्मनिर्भर भारत की उड़ान — अब आसमान भी Made in India
राफेल उड़ान ने यह भी दिखाया कि भारत अब “खरीदार नहीं, निर्माता” बनने की दिशा में है। राष्ट्रपति की यह उड़ान सिर्फ तकनीकी ताकत नहीं, बल्कि ‘न्यू इंडिया’ की सोच की उड़ान भी है।
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