
पाकिस्तान ने फिर वही किया जो वह सबसे अच्छा करता है — खुद को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शर्मिंदा करना। इस बार मामला कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में बैठक का था। पाकिस्तान ने पुरानी रील प्ले करने की कोशिश की, लेकिन दर्शकों की कुर्सियाँ ख़ाली थीं और कैमरे ऑफ।
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सैयद अकबरुद्दीन का ‘डिप्लोमैटिक कटाक्ष’:
संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान की इस नौटंकी पर कहा:
“आज पाकिस्तान की हालत ये है कि उसके परमाणु हथियार की धमकी भी अब म्यूट हो चुकी है।”
उन्होंने सीधे शब्दों में कहा — अब कोई भी देश पाकिस्तान को गंभीरता से नहीं लेता, न उसके बयान को, न धमकियों को और न ही उसके एजेंडे को।
1965 की धूल झाड़ने की नाकाम कोशिश
पाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद में 60 साल पुराना एजेंडा “भारत-पाक सवाल” फिर से खींचकर लाने की कोशिश की। उसे लगा शायद पुरानी फ़ाइलों से नया ड्रामा रच पाएगा, लेकिन नतीजा वही निकला — “अस्वीकृति का सन्नाटा।”
पाकिस्तान ने जिन 15 देशों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की, उनमें से किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया।
यूएन की चार प्रक्रिया—प्रस्ताव, अध्यक्षीय बयान, प्रेस बयान, मौखिक टिप्पणी—चारों से पाकिस्तान को जीरो मिला।
“मंच चाहिए, मंशा नहीं”: पाकिस्तान का पीआर मॉडल
अकबरुद्दीन ने दो टूक कहा—पाकिस्तान असल में मंचों पर दिखावा करने आता है, संवाद में उसकी कोई रुचि नहीं होती।
“उसे मंच चाहिए, मंशा नहीं। उसे प्रचार चाहिए, समाधान नहीं।”
चाहे यूएन हो, OIC हो या दुनिया का कोई भी बहुपक्षीय मंच—पाकिस्तान हर बार एक स्क्रिप्ट लेकर आता है और हर बार पब्लिक छोड़कर उठ जाती है।
“वन एंड ओनली” दोस्त: चीन
जैसा कि हर क्लास में एक स्टूडेंट होता है जिसे कोई जोड़ीदार नहीं मिलता, पाकिस्तान के लिए वो “लास्ट बेंच पार्टनर” है चीन। अकबरुद्दीन बोले:
“पाकिस्तान का यह एकमात्र ‘सेटिंग वाला दोस्त’ चीन है… बाकी दुनिया अब आगे बढ़ चुकी है।”
चीन ने हाल ही में पाकिस्तान की तरफ से पहलगाम आतंकी हमले पर संयुक्त जांच की मांग का समर्थन किया था—पर सिर्फ दिखावे के लिए, जैसे बर्थडे पर फोटो खिंचाने के लिए कोई झूठी मुस्कान दे दे।
पाकिस्तान की कूटनीति अब ‘पॉलिटिकल स्टैंडअप कॉमेडी’ बन चुकी है
जहां भारत मुद्दों पर गंभीरता से दुनिया से जुड़ता है, वहीं पाकिस्तान हर मंच पर एक नई “emotional blackmail” की स्क्रिप्ट लेकर आता है। पर दुख की बात ये है कि अब उसकी ‘ड्रामा किंग’ इमेज ही उसकी सबसे बड़ी हार बन चुकी है।
अब पाकिस्तान को सलाह दी जा सकती है:
“कृपया अगली बार जब आप यूएन में आएं तो ‘पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन’ के साथ नहीं, थोड़ी ‘पॉलिसी’ लेकर आइए।”
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