पहले गोली, फिर गले लगाने की बात: पाकिस्तान का नया ड्रामा!

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

चार दिन तक मिसाइलें, ड्रोन और बम गिराने के बाद अब पाकिस्तान को अचानक शांति का अहसास हुआ है। और इस बार वह डोनाल्ड ट्रंप की पोस्ट को पकड़कर ‘सद्भावना’ का तमाशा खड़ा करने लगा है।

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पाक विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वो अमेरिका और ट्रंप के “रचनात्मक प्रयासों” का स्वागत करता है।

अरे भाई, बम तुम्हारे थे, आग भी तुमने लगाई और अब कह रहे हो कि ट्रंप साहब ने बर्फ डाली तो राहत मिली!

शांति का टोपी, सिर में बारूद!

पाकिस्तान की यह चालबाज़ी नई नहीं है। जब रणनीतिक ठिकानों पर भारतीय हमले ने उन्हें भीतर तक हिला दिया, तो अब ‘कूटनीतिक सहानुभूति’ के सहारे संयुक्त राष्ट्र की दहलीज़ पकड़ने की कोशिश शुरू हो गई।

बयान में साफ लिखा गया:

“जम्मू और कश्मीर का हल संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक़ होना चाहिए।”

यानि वही पुराना राग, जिसे 75 साल से खुद पाकिस्तान ही बेसुरा बना चुका है।

ट्रंप का नाम, खुद की चाल

“हम ट्रंप की कोशिशों की सराहना करते हैं…”
मतलब – जब कुछ नहीं सूझे, तो पुरानी फाइलों से नया PR बना लो।

पाकिस्तान की पुरानी स्क्रिप्ट, नया डायरेक्टर

हर बार की तरह, पाकिस्तान के इस बयान का मकसद:

  • दुनिया को दिखाना कि वो तो शांति चाहता है,

  • असल में आतंक के बादल उसी के छाते तले हैं,

  • और अब ट्रंप का नाम लेकर कश्मीर को इंटरनेशनल मसला बनाना है।

लेकिन अब शायद वो भूल गए कि…

भारत 2025 में है, और पाकिस्तान अब भी 1999 की VHS टेप चला रहा है।

पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय अगर वाकई शांति चाहता है, तो ट्रंप के ट्वीट से ज़्यादा ज़रूरी है अपने लॉन्च पैड बंद करना।
और अगर इतना ही शांति प्रिय देश है, तो पहले अपना टीवी एंकर कम करें, मिसाइल नहीं।

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