
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जहां भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती जा रही है, वहीं पाकिस्तान को एक और मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है—आर्थिक संकट का। हालात ऐसे हैं कि अब पाकिस्तान ने चीन से 10 अरब युआन (करीब 1.4 अरब डॉलर) का अतिरिक्त कर्ज मांग लिया है।
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क्या है मामला?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने चीन से मौजूदा स्वैप लाइन को बढ़ाकर 10 अरब युआन करने का अनुरोध किया है। यह जानकारी अमेरिका में IMF और वर्ल्ड बैंक की बैठक के दौरान दिए गए इंटरव्यू में सामने आई।
स्वैप लाइन क्या होती है?
स्वैप लाइन एक ऐसा समझौता होता है जिसमें दो देशों के सेंट्रल बैंक एक-दूसरे की करेंसी अदला-बदली (Exchange) करते हैं ताकि विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखा जा सके।
पाकिस्तान पहले ही 30 अरब युआन (लगभग 4.3 अरब डॉलर) की स्वैप लाइन का उपयोग कर चुका है और अब उसे और रकम की दरकार है।
पांडा बॉन्ड की योजना
वित्त मंत्री औरंगजेब ने यह भी कहा कि पाकिस्तान इस साल के अंत तक पांडा बॉन्ड (चीनी मुद्रा में जारी होने वाला बॉन्ड) लॉन्च करने की योजना बना रहा है। इसका मकसद विदेशी निवेश को आकर्षित करना और नकदी संकट को कुछ हद तक कम करना है।
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पाकिस्तान की दोहरी मार
भारत से रिश्तों में तनाव और गंभीर आर्थिक संकट दोनों का सामना कर रहा है। भारत की सख्ती के बाद पाकिस्तान को राजनीतिक दबाव और वित्तीय अस्थिरता दोनों का अंदेशा है, जिसके चलते वह अब मित्र देशों से मदद मांगने को मजबूर है।
पाकिस्तान की यह चीन से कर्ज मांग सिर्फ आर्थिक संकट नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक असंतुलन का संकेत भी देती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चीन पाकिस्तान की गुहार मानता है, और इससे क्षेत्रीय समीकरणों में क्या बदलाव आता है।