सिर्फ वोट बैंक समझा मुसलमानों को, अब 1% भी नहीं बचे सरकारी नौकरी में”: राजभर का बड़ा हमला

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने लखनऊ में विपक्ष पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सपा, कांग्रेस और बसपा को घेरते हुए कहा कि इन पार्टियों ने मुसलमानों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया, लेकिन उनके वास्तविक विकास के लिए कुछ नहीं किया।

“सपा, कांग्रेस, बसपा ने ऐसा विकास किया कि आज मुसलमान सरकारी नौकरी में 1 प्रतिशत भी नहीं बचे,” – ओमप्रकाश राजभर

क्या है राजभर का दावा?

राजभर ने कहा कि दशकों से मुस्लिम समाज के साथ राजनीतिक छलावा हुआ है। हर चुनाव में उन्हें धर्म, डर और ध्रुवीकरण के आधार पर लामबंद किया गया, लेकिन जब नौकरी, शिक्षा और तरक्की की बारी आई तो ये दल गायब हो गए।

राजनीति का पुराना नुस्खा – “वोट दो, नौकरी भूल जाओ”

ओमप्रकाश राजभर के बयान का लहजा जितना सख्त था, उसमें तंज भी उतना ही गहरा था। उन्होंने कहा कि “जिन्होंने मुसलमानों को हमेशा झुनझुना पकड़ाया, आज उनकी हालत सरकारी नौकरी में गिनती से बाहर है।”

क्या आंकड़े भी यही कहते हैं?

हालांकि राजभर ने अपने बयान में कोई आधिकारिक डेटा नहीं दिया, पर यह बात कई रिपोर्टों में आई है कि सरकारी नौकरियों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व अपेक्षाकृत कम है। इससे पहले सच्चर कमेटी रिपोर्ट ने भी मुस्लिम समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई थी।

तो अब कौन करेगा मुसलमानों का ‘असल’ विकास?

राजभर का इशारा साफ था कि भाजपा गठबंधन अब मुसलमानों को “विकास के साथ न्याय” देने का वादा करता है। अब देखना होगा कि इस राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से क्या नया सियासी समीकरण बनता है, और क्या मुसलमान वाकई इस बार वोट बैंक नहीं, नीति बैंक बन पाएंगे?

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