
अगर आपको लगता था कि हर फ्लाईओवर, हर पुल और सुरंग पर गाड़ी चढ़ते ही आपकी जेब का बैलेंस डाउन होने लगता है — तो खुश हो जाइए!
सरकार ने अब टोल की गणना में ऐसा नया फॉर्मूला ला दिया है कि अब आप हाईवे पर उड़ेंगे, लेकिन टोल भरते वक्त गिरेंगे नहीं!
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क्या है नया टोल गणना नियम?
नया नियम: टोल अब दो पैमानों पर गणना होकर लिया जाएगा —
संरचना की लंबाई × 10
पूरे खंड की लंबाई × 5
और फिर जो कम होगा, वही मान्य होगा।
यानि अब टोल में ‘कम में ज्यादा’ की बजाय ‘कम में कम’ वाला फार्मूला चलेगा।
उदाहरण:
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कुल सड़क: 40 किमी
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पूरी तरह संरचना आधारित
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संरचना × 10 = 400
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खंड × 5 = 200
नया टोल: सिर्फ 200 किमी के हिसाब से लगेगा, यानी लगभग आधा!
पहले क्या था? टोल = ‘ऊंची सड़क, ऊंचा टैक्स!’
अब तक नियम ये था कि फ्लाईओवर, सुरंग, या एलिवेटेड रोड बने नहीं कि टोल 10 गुना तक बढ़ जाता था। सरकार ने सोचा था कि “बड़ी लागत = बड़ी वसूली”, लेकिन पब्लिक ने कहा – “बड़ी सड़क = बड़ा दर्द”।
अब राहत क्यों दी गई?
सड़क परिवहन मंत्रालय को जब ये अहसास हुआ कि लोग टोल देने के नाम पर बैक गियर मार रहे हैं, तो एनएच शुल्क नियम, 2008 में बदलाव किया गया।
इससे:
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यात्रियों पर वित्तीय बोझ घटेगा
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यात्रा आसान और सस्ती होगी
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टोल प्लाज़ा विवाद भी घटेंगे (और गालियाँ भी)
किसे होगा सबसे ज़्यादा फायदा?
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पहाड़ी राज्यों में यात्रा करने वालों को
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दिल्ली-देहरादून जैसे हाई-इन्फ्रास्ट्रक्चर रूट पर
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वाणिज्यिक वाहन चालकों को (जिन्हें पहले 5 गुना तक टोल देना पड़ता था)
उदाहरण: दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का एलिवेटेड हिस्सा (18 किमी) और वन्यजीव कॉरिडोर (15 किमी) अब सस्ते टोल के दायरे में!
कब से लागू होगा ये नियम?
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सरकारी टोल प्लाजा: अगली “यूज़र फीस रिवीजन” से
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नए टोल प्लाजा: लॉन्चिंग के दिन से
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प्राइवेट टोल: कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद
यानी… “थोड़ा सब्र रखिए, सड़क के साथ साथ टोल भी सुधरने वाला है।”
‘अब टोल वसूली नहीं, सुविधा की बात!’
सरकार का यह फैसला जनता के लिए “पैसे दो लेकिन हिसाब से दो” जैसा है। अब फ्लाईओवर और सुरंगें सिर्फ इंजीनियरिंग की उपलब्धि नहीं, टोल की रियायत का रास्ता बनेंगी।
तो अगली बार जब आपकी गाड़ी किसी एलिवेटेड रोड पर उड़े, तो मन में कहिए — “वाह सरकार! अब सफर में गड्ढे कम और बचत ज्यादा है!”
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