
हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने वाला मदर्स डे महज़ एक तारीख नहीं, बल्कि उस अमर प्रेम का उत्सव है, जिसे शब्दों में पिरोना नामुमकिन है।
माँ, जिसने हमें चलना सिखाया, बोलना सिखाया, जीवन की ठोकरों से पहले गिरकर खुद सीखा और हमें बचा लिया।
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माँ: पहली गुरु, पहला दोस्त और पहला भगवान
जब हम बोल नहीं सकते थे, वो हमारी आँखों में भाव पढ़ लेती थी।
जब हम गिरते थे, वो अपने आँचल में समेट लेती थी।
और जब दुनिया ने नकारा, तब भी उसकी मुस्कान हमारे लिए बनी रही।
माँ ने कभी अपने लिए नहीं जिया। उसकी सुबह हमारी स्कूल वैन के साथ शुरू होती थी, और रात हमारी नींद आने तक खत्म नहीं होती।
माँ के बिना कैसा होता जीवन?
क्या कभी सोचा है कि अगर माँ न होती तो?
कोई हमारा हाल बिना बोले कैसे समझता?
कौन बिना स्वार्थ हमारे लिए पूरी दुनिया से लड़ जाता?
माँ नहीं होती तो शायद हम इंसान होना ही नहीं सीखते।
मदर्स डे पर हमारा कर्तव्य:
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केवल सोशल मीडिया पोस्ट से आगे बढ़िए।
अपनी माँ के साथ एक दिन नहीं, हर दिन बिताइए। -
उसे वही सम्मान दीजिए जो वो आपके बॉस से भी ज़्यादा डिज़र्व करती है।
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अगर माँ आपके साथ नहीं हैं, तो उनकी याद में एक दीपक जलाइए, उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाइए।
कुछ भावनात्मक पंक्तियाँ माँ के लिए:
वो चुप रहती थी, ताकि हम बोल सकें।
वो भूखी सोई, ताकि हम पेटभर खा सकें।
वो थककर भी मुस्कराई, ताकि हम हिम्मत न हारें।
माँ… तू भगवान नहीं, भगवान भी तुझसे सीखे।
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