
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत और पाकिस्तान के हालिया संघर्ष पर जो बयान दिया है, वो एक बार फिर यही साबित करता है कि पाकिस्तान में बयानबाज़ी भी राष्ट्रीय खेल है।
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अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “एक्स” पर इमरान साहब ने गज़ब का दावा ठोका:
“भारत के साथ हालिया तनाव ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पाकिस्तानी एक बहादुर देश है।”
फौज भी मेरी, नैरेटिव भी मेरा
इमरान खान ने कहा, “जिस तरह हमारे सैनिकों ने सीमाओं पर मोदी को हराया, उसी तरह सोशल मीडिया पर भी पाकिस्तान ने मोदी-आरएसएस के नैरेटिव को धूल चटाई।” अब सवाल ये उठता है कि सीमा पर जंग टैंकों से लड़ी गई या ट्विटर पोल्स से?
इमरान साहब ने यह भी जोड़ा:
“मोदी ने पाकिस्तान में बच्चों और महिलाओं को निशाना बनाया, जिसका जवाब हमारी फौज ने सटीकता से दिया।”
यह सुनकर ऐसा लग रहा है जैसे वो नेशनल सिक्योरिटी ब्रीफिंग नहीं, बल्कि कोई ड्रामा स्क्रिप्ट पढ़ रहे हों।
युद्ध का नया मैदान: सोशल मीडिया
इमरान खान का यह दावा कि पाकिस्तान की जनता और खासकर सोशल मीडिया ने भारत को परास्त कर दिया, सुनने में उतना ही गंभीर है जितना यह कहना कि “मीम और हैशटैग से देश की रक्षा होती है।”
आर्थिक साज़िशों से सावधान?
इमरान ने कहा:
“मोदी पाकिस्तान को आर्थिक रूप से भी नुक़सान पहुंचाने का प्रयास करेगा, हमें एकजुट रहना चाहिए।”
दरअसल, महंगाई, IMF की डील और डूबती इकॉनमी से ज्यादा खतरनाक ‘मोदी का नाम’ है — ये इमरान साहब की फिलॉसफी लगती है।
इमरान का राष्ट्रवाद या रील्स का राज?
इमरान खान के बयानों में राष्ट्रवाद से ज्यादा रील्स की रफ्तार है। “मुल्क भी मेरा, फौज भी मेरी” — इस लाइन में गहराई नहीं, गूंज है, जो चुनावी नारों में गूंजेगी, शायद जमान पार्क की छत से।
और जब एक देश की फौज ट्विटर हैंडल्स से कमज़ोर पड़ जाए, तो दुनिया सिर्फ संघर्ष नहीं देखती — वो तमाशा देखती है।
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