
गुरु-शिष्य परंपरा के सबसे पावन पर्व गुरु पूर्णिमा पर गोरखनाथ मंदिर का वातावरण एक बार फिर भक्ति, श्रद्धा और परंपरा से सराबोर होगा। गुरुवार सुबह 5 बजे से ही गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथपंथ के आदिगुरु गुरु गोरखनाथ का पारंपरिक पूजन करेंगे।
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विधिपूर्वक होगा रोट अर्पण और विशेष पूजन
गुरु गोरखनाथ को रोट चढ़ाने की प्राचीन परंपरा इस वर्ष भी निभाई जाएगी। इसके साथ ही समाधि स्थलों, देवी-देवताओं के मंदिरों में विशेष पूजन होगा, जिसकी समूह आरती सुबह 7 बजे तक संपन्न होगी। यह आयोजन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि नाथपंथ की आत्मा का उत्सव है।
श्रीरामकथा की पूर्णाहुति भी गुरु पूर्णिमा पर
4 जुलाई से मंदिर परिसर में चल रही श्रीरामकथा की पूर्णाहुति भी इसी दिन गोरक्षपीठाधीश्वर की उपस्थिति में संपन्न होगी, जो गुरु पूर्णिमा को एक आध्यात्मिक समापन प्रदान करेगी।
तिलक, आशीर्वचन और भजन कार्यक्रम
सुबह 11:30 बजे महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन में आशीर्वचन कार्यक्रम होगा, जहां साधु-संत योगी आदित्यनाथ को तिलक लगाएंगे और उनका आशीर्वाद लेंगे। श्रद्धालु भी इस मंच से गोरक्षपीठाधीश्वर के दर्शन और आशीर्वचन प्राप्त कर सकेंगे। साथ में भजन कीर्तन से पूरा माहौल भक्तिमय रहेगा।
सहभोज से होगा भक्ति का स्वादपूर्ण समापन
दोपहर 12:30 बजे से मंदिर परिसर में सहभोज का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु एक साथ भोजन करेंगे। न केवल यह कार्यक्रम भक्ति और सेवा का संगम होगा, बल्कि गुरु भक्ति की सामूहिक ऊर्जा का प्रतीक भी बनेगा।
क्यों है यह दिन खास?
नाथपंथ की परंपरा में गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, आध्यात्मिक ऊर्जा के केंद्र का उत्सव है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह पर्व गोरखनाथ मंदिर में न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामूहिक चेतना का स्वरूप ले चुका है।
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