दिल बोले No More! वैक्सीन नहीं, आलसी लाइफस्टाइल है कातिल

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

भारत में युवाओं का दिल अब सिर्फ ब्रेकअप से नहीं, ब्रेकडाउन से भी टूट रहा है। एक ओर जहां Instagram पर रील्स में “Dil Dhadakne Do” बजता है, वहीं असल ज़िंदगी में दिल धड़कते-धड़कते थक गया है। अचानक हार्ट अटैक और युवाओं की मौतों के बढ़ते मामले लोगों को डर और भ्रम में डाल रहे हैं – “कहीं ये सब वैक्सीन की वजह से तो नहीं?”

व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने तो पहले ही फतवा जारी कर दिया – “भाई, वैक्सीन मत लगवाओ, यही सब मौत की जड़ है!” लेकिन अब ICMR और AIIMS की वैज्ञानिक रिपोर्ट आई है, और उन्होंने बड़े प्यार से सबको समझाया –
“भाई साहब, वैक्सीन नहीं, आपकी आलसी लाइफस्टाइल ज़्यादा खतरनाक है।”

इस लेख में जानिए:

  • क्यों हार्ट अटैक अब ‘यूथ ट्रेंड’ बनता जा रहा है,

  • क्या सच में वैक्सीन ज़िम्मेदार है या हमारी आदतें,

  • और क्या अमेरिका का वैक्सीन यू-टर्न भारत के लिए भी सबक है?

गरीबों की पढ़ाई पर ‘कम केस’ का ताला: माया बोलीं– महंगाई नहीं, पढ़ाई महंगी

भारत के युवा दिल धड़कने से ज़्यादा अब फुल चार्जिंग और रीचार्जिंग पर भरोसा कर रहे हैं। नतीजा — जरा सी सीढ़ी चढ़ो, और दिल बोला “404 – स्टेमिना नॉट फाउंड!”

ICMR और AIIMS की स्टडी ने अब वो कहा है, जो आपकी दादी सालों से कहती आ रही थीं —
“बेटा, स्क्रीन छोड़ के पार्क में जा!”

“वैक्सीन मार रही है!” — और बाकी Whatsapp विश्वविद्यालय की थ्योरी

कई लोगों ने बिना MBBS किए ही गूगल यूनिवर्सिटी से “डॉक्टर विदाउट डिग्री” बनकर दावा किया कि कोरोना वैक्सीन हार्ट अटैक करा रही है।
ICMR और AIIMS ने सीधे शब्दों में कहा —
“भाई साहब, वैक्सीन नहीं… आपकी लाइफस्टाइल आपको आउटडेट कर रही है।”

वैक्सीन लेने वाले और न लेने वाले – दोनों में हार्ट अटैक का खतरा लगभग एक जैसा
कन्क्लूज़न?
“डरिये मत, दौड़िये!”

Zomato, Netflix और स्ट्रेस – दिल का बटर चिकन बनाते हैं

अध्ययन में पाया गया कि हार्ट अटैक की वजह है –

  • डाइट जिसमें पौष्टिकता से ज़्यादा वात्सल्य है

  • 12 घंटे की डेस्क जॉब के बाद 4 घंटे इंस्टाग्राम

  • और नींद जो आती तो है, पर देर से और नींद में भी व्हाट्सऐप नोटिफिकेशन

दिल चाहता है प्यार, और हम उसे पिज़्ज़ा खिला रहे हैं।
क्या दिल नहीं टूटेगा?

डॉक्टर बोले – “बूथ कैप्चरिंग नहीं, बूस्टर से डर कैप्चरिंग हो रही है”

स्वास्थ्य मंत्रालय भी कह रहा है –
“भैया, वैक्सीन नहीं, आपकी आलसी जिंदगी जिम्मेदार है।”
लोगों ने वैक्सीन से नहीं, वाईफाई के स्लो होने से ज़्यादा स्ट्रेस लिया।

अमेरिका बोला – “अब बस! हेल्दी लोगों को वैक्सीन नहीं चाहिए”

अमेरिका ने हाल ही में कहा कि अब स्वस्थ लोगों को बूस्टर नहीं देंगे।
मतलब–

“हमने भी मान लिया है कि बूस्टर से ज़्यादा ज़रूरी है साइकिल चलाना।”

वो समझ गए हैं कि अगर दिल को बचाना है, तो बूस्टर नहीं, ब्रेकफास्ट और ब्रिस्क वॉक जरूरी है।

क्या वाकई वैक्सीन से हार्ट अटैक होता है? साइंस vs सनसनी

  • स्वीडन, इज़राइल, इटली सभी ने माना:
    कुछ मामलों में मायोकार्डाइटिस हुआ, पर हल्का और इलाज योग्य

  • 2024 के एक “तथाकथित” अध्ययन ने 73.9% मौतों का कारण वैक्सीन बताया
    लेकिन वैज्ञानिक बोले –

    “इतनी overthinking तो Tinder bio बनाने में भी नहीं होती।”

दिल की बात: हार्ट अटैक से बचना है तो…

ICMR, AIIMS और आम दादी सभी कह रहे हैं कि दिल को बचाना है तो:

  • फल खाइए, फालतू बातों से बचिए

  • दौड़िए, लेकिन अफवाहों के पीछे नहीं

  • योगा करिए, पर कसरत से भी भागिए मत

  • वैक्सीन लगवाइए, लेकिन दोष मत लगाइए

“हार्ट का नहीं, आदतों का वैक्सीनेशन ज़रूरी है”

भारत का दिल टूट रहा है, और इसका कारण किसी वैक्सीन का साइड इफेक्ट नहीं, बल्कि खाली पेट, भरी टेंशन और सोई हुई फिटनेस है

तो अगली बार जब कोई बोले, “भाई, हार्ट अटैक तो वैक्सीन से हो रहा है”, तो उसे ये जवाब दीजिए:

“भाई, हार्ट अटैक उस दिन से हो रहा है जब हमने चलना छोड़ दिया और सिर्फ स्क्रॉल करना शुरू किया।”

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