BAT और SSG: पाकिस्तान की छद्म युद्ध रणनीति और भारत पर इसके प्रभाव

अजीत उज्जैनकर
अजीत उज्जैनकर

पाकिस्तानी सेना दुनिया की उन चंद सेनाओं में शामिल है जिनका प्रभाव सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहता। सेना वहां की राजनीति, अर्थव्यवस्था और विदेश नीति तक नियंत्रित करती है। लेकिन भारत-पाक संबंधों की बात करें तो यह सेना एक और खतरनाक रूप में सामने आती है — जहां आतंकवाद और सैन्य ऑपरेशन का फर्क मिट जाता है।

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BAT: जब आतंकी और सैनिक एक ही टीम में हों

BAT (Border Action Team) पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का संयुक्त दस्ता होता है। इसमें शामिल SSG कमांडोज़ और प्रशिक्षित आतंकवादी भारत की चौकियों पर हमला करते हैं, गश्त कर रही भारतीय टुकड़ियों पर घात लगाकर वार करते हैं और खुफिया जानकारी चुराते हैं।

2013 में पुंछ सेक्टर में भारतीय सैनिकों के साथ हुई बर्बरता एक चर्चित BAT हमला था।

SSG: पाकिस्तान की छद्म युद्ध यूनिट

SSG (Special Services Group) पाकिस्तान की सबसे घातक कमांडो यूनिट है, जिसे भारत में घुसपैठ और गुप्त अभियानों के लिए जाना जाता है। यह भारत के NSG की तरह दिखती है, लेकिन इसकी भूमिका पूरी तरह से छद्म युद्ध में केंद्रित होती है। यह यूनिट कई बार BAT का हिस्सा बनकर सीमा पार से हमले करती है।

ISI और सेना की भूमिका

इन अभियानों की योजना और क्रियान्वयन ISI और सेना के शीर्ष अधिकारियों द्वारा किया जाता है। हमलों के बाद पाकिस्तान सरकार या सेना कभी जिम्मेदारी नहीं लेती — जो इस बात का संकेत है कि आतंकवाद को वहां राज्य स्तर पर समर्थन प्राप्त है।

भारत के लिए क्यों है यह खतरा?

BAT और SSG केवल लड़ाकू यूनिट्स नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा हैं। इनका उद्देश्य है भारतीय सेना का मनोबल तोड़ना, जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फैलाना और देश में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देना। इनके कारण नियंत्रण रेखा (LoC) पर हमेशा तनाव बना रहता है, और ये भारत में आतंकियों की घुसपैठ करवाने में मदद करती हैं।

पाकिस्तानी सेना: एक बिजनेस एम्पायर

पाकिस्तानी सेना खुद का बिज़नेस एम्पायर भी चलाती है। Fauji Foundation, Shaheen Foundation, और Army Welfare Trust जैसी संस्थाएं अरबों डॉलर की संपत्ति और उद्योगों को संचालित करती हैं। वहां सेना प्रमुख अक्सर प्रधानमंत्री से अधिक शक्तिशाली होते हैं।

आतंकवाद को संस्थागत समर्थन

सेना का यह ढांचा भारत-विरोधी भावनाओं और आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने के लिए आदर्श स्थितियां तैयार करता है। जब आतंकवादी संगठन कमजोर होते हैं, सेना उन्हें दोबारा सशक्त करती है। इस तरह पाकिस्तान की सेना एक प्रॉक्सी वॉर मशीन बन चुकी है।

भारत को सचेत रहने की जरूरत

भारत को इन छद्म रणनीतियों का जवाब सख्ती और रणनीति दोनों से देना होगा। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की इस नीति को उजागर करते रहना, और आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना समय की मांग है।

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