पहलगाम पर हमला, CPEC पर सस्पेंस – चीन क्यों घबरा रहा है?

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि)

आज हम बात करेंगे उस कड़वे रिश्ते की जो डॉलर से शुरू हुआ था और बारूद पर आकर खत्म हो रहा हैपहलगाम आतंकी हमला, चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (CPEC) और भारत की सख्त विदेश नीति ने ड्रैगन को कर दिया है बेचैन। पहलगाम हमला चीन के लिए भी एक चेतावनी है — कि अगर तुम आतंक की गोद में बैठोगे, तो बारूद पर ही बैठोगे।

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पहलगाम हमला – सिर्फ आतंक नहीं, एक संदेश!

2 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले ने फिर दिखा दिया कि पाकिस्तान की जमीन से आतंकवाद अब भी जिंदा है। लेकिन इस बार बात सिर्फ सुरक्षा की नहीं — अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की भी है। इस इलाके के नज़दीक ही वो CPEC मार्ग गुजरता है, जिसमें चीन ने अब तक 60 अरब डॉलर से ज़्यादा निवेश किया है। भारत लंबे समय से कहता आ रहा है कि यह कॉरिडोर भारत की संप्रभुता का उल्लंघन है। तो क्या आतंक फैलाकर CPEC पर भारत का ध्यान हटाने की साज़िश हो रही है?

CPEC – चीन का सपना, पाकिस्तान की साजिश?

CPEC यानि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर, जो ग्वादर बंदरगाह को चीन से जोड़ता है। आशा थी कि पाकिस्तान समृद्ध होगा। लेकिन हुआ क्या? पाकिस्तान ने पैसे खा लिए, सड़कें अधूरी। ग्वादर में बलूच विद्रोही। PoK में आतंकियों की चहल-पहल। चीन ने पाकिस्तान को बिजनेस पार्टनर समझा —अब चीन को समझ आ रहा है कि वो दरअसल टेरर फंडिंग में इन्वेस्टर बन गया है!

कूटनीतिक बेचैनी क्यों बढ़ रही है?

भारत अब खुलकर CPEC पर सवाल उठा रहा है, UN में आतंकी संगठन जैश और लश्कर के खिलाफ प्रस्ताव। G20 में PoK से जुड़ी आपत्तियाँ। क्वाड और इंडो-पैसिफिक साझेदारी। चीन अब डिप्लोमैटिक बैकफुट पर है क्योंकि CPEC अगर विफल होता है, तो बीजिंग का इंटरनेशनल चेहरा भी धुंधला होगा। भारत की नाराज़गी उसे यूएन में अकेला छोड़ सकती है।

भारत की रणनीति – अब सिर्फ ‘निंदा’ नहीं, ‘नीति’

भारत अब निंदा प्रस्ताव से आगे बढ़ चुका है। अब लक्ष्य है CPEC को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अवैध घोषित कराना। पाकिस्तान को FATF और अन्य संगठनों के माध्यम से घेरना। PoK में स्थानीय जनसमर्थन को आवाज़ देना। यानी हमला अब बॉर्डर पार नहीं, डिप्लोमैटिक जोन में हो रहा है।

क्या CPEC बनेगा चीन के लिए ‘पैसा डुबाने वाला पुल’?

पहलगाम हमला एक संकेत है — भारत को न सिर्फ लड़ाई की जरूरत है, बल्कि रणनीति की भी। और शायद अब चीन भी समझ रहा है कि“अगर दोस्त पाकिस्तान हो, तो दुश्मन की ज़रूरत नहीं।”

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