
लोकसभा चुनाव 2024 में 62 से 33 सीट पर फिसलने के बाद बीजेपी अब रणनीति की थाली में जाति का तड़का लगा रही है। समाजवादी पार्टी के PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले का तोड़ निकालने के लिए अब P-D यानी “पिछड़ा और दलित” समीकरण का तीर कमान पर चढ़ चुका है।
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UP BJP अध्यक्ष की कुर्सी: अब जाति ही सीट बेल्ट है
BJP के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अगला अध्यक्ष केवल चेहरा नहीं, बल्कि जातीय संतुलन का गणित है। मतलब:
“अगर हारने का कारण PDA है, तो जीत की कुंजी P-D हो सकती है।“
एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “नाम मत पूछिए साहब, जाति ही काफी है!”
कौन हैं कुर्सी के दावेदार? जातियों की जुगलबंदी देखिए:
OBC से
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बी.एल. वर्मा – केंद्रीय मंत्री, ‘OBC Face with Delhi Stamp’
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स्वतंत्र देव सिंह – वापसी की संभावनाओं के साथ जातीय पुराना चेहरा
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धर्मपाल सिंह – पशुपालन मंत्री, लेकिन सियासी दांव के शिकार कब बन जाएं, क्या पता!
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बाबूराम निषाद – राज्यसभा सांसद, ‘निषाद वोट खींचने वाले ट्रंप कार्ड?’
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अशोक कटारिया – MLC, शांत मगर उपयोगी
SC से
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रामशंकर कठेरिया – तेज़-तर्रार पूर्व सांसद
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विद्यासागर सोनकर – वर्तमान में चर्चित, अंदरखाने एक्टिव
- जुगल किशोर – पूर्व राज्य सभा सदस्य, अमित शाह से नजदीकी
इतिहास क्या कहता है?
हर विधानसभा चुनाव से पहले BJP ने OBC अध्यक्ष का तुरुप इस्तेमाल किया:
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2017: केशव प्रसाद मौर्य
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2022: स्वतंत्र देव सिंह
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2024 में हार के बाद अब 2027 का ध्यान, जातीय कूटनीति फिर एक्टिव
संदेश साफ है: “जाति है तो रणनीति है!”
BJP के रणनीतिकार मानते हैं कि “PDA का जवाब एक ‘P-D सुपरहिट’ कास्टिंग से ही दिया जा सकता है।”
यह चेहरा ऐसा होना चाहिए जो न केवल सपा की जमीन खिसका सके, बल्कि गैर-यादव OBC और गैर-जाटव SC वोटर्स को भी जोड़ सके।
पंचायत चुनाव = Testing Lab
नए अध्यक्ष की पहली परीक्षा अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव होंगे। अगर P-D फॉर्मूला ज़मीन पर चल निकला, तो 2027 में BJP फिर से मैदान मार सकती है।
PDA ने नीचे से जोड़ने का काम किया, अब BJP भी ज़मीन से रेस शुरू कर रही है, Twitter से नहीं।
“भूपेंद्र चौधरी के बाद अगला अध्यक्ष जातीय कैमिस्ट्री का पोस्टर ब्वॉय होगा। बस पार्टी को देखना है कि पोस्टर Instagram Reels में ट्रेंड करेगा या Meme में?”
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