लखनऊ में ताबूत का जुलूस, आग का मातम और शरबत की सबीलें

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

लखनऊ के मदेयगंज खदरा क्षेत्र में मोहर्रम की 10वीं तारीख पर परंपरा के अनुसार ताबूत का जुलूस निकाला गया और मजलिस आयोजित की गई। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। कर्बला की याद में गार वाली कर्बला पर ‘आग का मातम’ कर गहरा शोक व्यक्त किया गया।

सबीलों की मिठास में बसी इंसानियत

जुलूस के दौरान हर मोड़ पर शरबत और पानी की सबीलें लगाई गई थीं। जुलूस में शामिल हर व्यक्ति को ठंडा शरबत बांटा गया। यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि एकता और सेवा का जीवंत प्रतीक था।

धर्मगुरुओं ने दी बलिदान और इंसाफ की सीख

मजलिस में धर्मगुरुओं ने कर्बला की घटना का जिक्र करते हुए कहा,

“यह मातम कोई त्योहार नहीं, बल्कि इंसानियत, न्याय और बलिदान की मिसाल है।”
उन्होंने कहा कि मोहर्रम अत्याचार के खिलाफ खड़े होने और सब्र की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।

सभी समुदायों की भागीदारी, गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक

खदरा की बड़ी पकड़िया नगरी, तकिया तारन शाह के पास से जुलूस शुरू होकर हर साल की तरह इस बार भी शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ।
हिंदू, मुस्लिम समेत सभी समुदायों के लोगों ने जुलूस में शामिल होकर गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक पेश की।

प्रशासन और पुलिस रहे मुस्तैद

थाना मदेयगंज के इंस्पेक्टर राजेश कुमार अपनी पुलिस टीम के साथ जुलूस के दौरान पूरी तरह सक्रिय दिखे। सिविल डिफेंस की टीम ने भी व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।

बिजली विभाग की चौकसी ने रोकी अनहोनी

अहिबरनपुर विद्युत विभाग की टीम ने पूरी मुस्तैदी से काम किया। जेई आर.बी. वर्मा और उनकी टीम – अखिलेश मिश्रा, शिवम् शर्मा, मोहम्मद सलमान समेत अन्य कर्मचारियों ने कुछ घंटों के लिए बिजली बंद रखकर संभावित हादसों से बचाव किया।

लखनऊ का यह मोहर्रम सिर्फ एक मजहबी आयोजन नहीं था — यह इंसानियत, बलिदान, सब्र और भाईचारे की ज़िंदा मिसाल बना। जब आग का मातम हुआ, तब शरबत की मिठास भी बंटी। और जब धर्मगुरु बोले, तो इंसाफ और सब्र का पैगाम गूंजा।

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