
युवा और लगभग ‘PubG टीम vibes’ वाली भारतीय टेस्ट टीम ने हेडिंग्ले में 835 रन ठोककर इतिहास रचा – पाँच शतक, पिच पर बल्लेबाज़ी का जलसा – लेकिन अंत में, इंग्लैंड ने पाँच विकेट से हराकर कहा, “Runs don’t buy wins, darling!”
टीम हिली, डगमगाई… पर गिरी नहीं।
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जवाब गिल देंगे! – बल्ला बोलेगा, कप्तान बोलेगा
दूसरे टेस्ट में जब भारत को एक नई शुरुआत की दरकार थी, तो कप्तान शुभमन गिल ने 269 रन की अद्वितीय, धैर्य-से-लिपटी और आत्मविश्वास-से-भीगी पारी खेली। ये एक रिकॉर्ड भी था – किसी भारतीय कप्तान द्वारा टेस्ट क्रिकेट में सबसे ऊँचा स्कोर।
शुभमन गिल ने ‘कप्तानी पारी’ को परिभाषा दी और क्रिकेट को एक स्टाइलिश जवाब – “Not all heroes wear capes, some wear gloves and pads.”
नई टीम, नई सोच, गिल की गिलहरी जैसी फुर्ती
विराट, रोहित, अश्विन – सब संन्यास ले चुके हैं। ड्रेसेिंग रूम में वेटरन वाइब्स की जगह अब वाइब्रेंट यंगस्टर्स ने ले ली है। ऐसे में एक 25 साल के कप्तान का 269 रन ठोकना केवल आंकड़ा नहीं – यह बयान है।
गिल ने न सिर्फ़ रन बनाए, बल्कि एक दिशा दी – “चिंता मत करो, मैंने प्रैक्टिकल भी पढ़ा है, सिर्फ़ थ्योरी नहीं।”
गिल-स्टाइल: फ़्लिक, ड्राइव, स्वीप – और फिर फुल फायर
गिल की पारी एक स्लो बर्नर थी – धीमी शुरुआत, तेज़ मिडिल गेम और विस्फोटक एंडिंग। ब्राइडन कार्स की गेंद पर एलबीडब्ल्यू की अपील में बचे, वोक्स की गेंद पर एज से जान बचाई – लेकिन जब जम गए, तो गेंदबाज़ों के पसीने छूटे।
शोएब बशीर को तीन छक्के, दो रिवर्स स्वीप और कुछ आँखों में आंसू भी दे दिए।
जडेजा और सुंदर: गिल को मिला जादुई जुगलबंदी का साथ
जडेजा ने 89 रनों की समझदारी भरी पारी खेली। सुंदर ने 42 रन जोड़े और दोनों ने गिल की पारी को नींव दी।
इस पारी में साझेदारियाँ भी थीं और स्टेटमेंट भी – “हम सीनियर नहीं हैं, लेकिन समझदार हैं।”
तिहरे शतक का सपना टूटा, पर कहानी बनी गगनचुंबी
जब गिल 300 के करीब थे, तब लगा कि आज टेस्ट क्रिकेट को एक नई ‘300 नॉट आउट’ की कहानी मिलेगी। लेकिन टंग ने बाउंसर डाला, और गिल एक दुर्लभ ग़लती कर बैठे – 269 पर आउट।
लेकिन आउट होने से पहले, उन्होंने स्टोक्स को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या टीम में गेंदबाज़ बचा भी है?
कप्तानी का असली टेस्ट, टेस्ट में ही पास हुआ
शुभमन गिल की यह पारी 2020 के MCG टेस्ट में रहाणे की 112 रनों जैसी याद दिलाती है – मुश्किल हालात, नया नेतृत्व और एक पारी जो पूरी सिरीज़ को मोड़ सकती है।
यह सिर्फ़ एक दोहरा शतक नहीं था – यह युग परिवर्तन का आग़ाज़ था। गिल अब ‘प्रिंस ऑफ़ इंडियन क्रिकेट’ नहीं, बल्कि उसका कप्तान है।
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