गाड़ी बूढ़ी नहीं! कैमरे अंधे, नियम तेज — दिल्ली में टेक्नो ड्रामा

शकील अहमद सैफी
शकील अहमद सैफी

दिल्ली में 1 जुलाई से लागू होने वाला “एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) वाहन फ्यूल बैन” अभी शुरू भी नहीं हुआ था कि विवादों के धुएं ने पहले ही माहौल धुंधला कर दिया।

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है, और वजह है — तकनीकी खामियां इतनी हैं कि कैमरे चालू हों तो ही कोई नंबर पहचानें!

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ANPR कैमरा: तकनीक है, पर ट्यूनिंग बिगड़ी है

सिरसा ने वायु गुणवत्ता आयोग को भेजे गए पत्र में लिखा, “जो ANPR कैमरे लगाए गए हैं, वो ना प्लेट पहचान पा रहे हैं, ना HSRP से दोस्ती कर पाए हैं। सेंसर या तो नींद में हैं या रिटायर!”

यानि कैमरा तो लगा है, लेकिन वो काम करे ये अभी भी भगवान भरोसे है

“स्पीकर खराब, डेटा लिंक गायब – ये कौन सी स्मार्ट व्यवस्था है?”

सिरसा की प्रेस ब्रीफिंग में विवेकानंद और विज्ञान दोनों नजर आए। बोले – “सिस्टम NCR डेटा से जुड़ा नहीं, स्पीकर फुसफुसाते हैं और सेंसर साइलेंट मोड में हैं।”

मतलब ये कि अगर आप गुरुग्राम या गाज़ियाबाद से दिल्ली आते हैं, तो आपके वाहन की उम्र वही रहेगी, लेकिन सिस्टम को फर्क नहीं पड़ेगा।

सिरसा का तर्क: जल्दबाज़ी में उठाया गया कदम, असर उल्टा पड़ सकता है

मंत्री ने कहा –

“हमने आयोग को बताया कि यह निर्णय व्यावहारिक रूप से असफल हो सकता है, और इससे जनता को परेशानी होगी, न कि प्रदूषण कम।”

कहीं ऐसा न हो कि पेट्रोल पंप वाले पहले गाड़ी की डेट ऑफ बर्थ पूछें और फिर फ्यूल डालें। “डीजल या पेट्रोल?” से पहले “RC कब की है?” – ये नई पूछताछ होगी!

क्या कहता है आदेश?

आदेश के अनुसार,

  • 10 साल से पुरानी डीजल गाड़ियों

  • और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को ईंधन नहीं दिया जाएगा।

दिल्ली सरकार का इरादा भले नेक हो – लेकिन तकनीक के हाल देखकर जनता कह रही है,

“ये काम अभी मत शुरू करो… सिस्टम पहले सही करो!”

तकनीक की चाल ढीली, नियम की गाड़ी कैसे चलेगी?

अगर तकनीक से जुड़ा हर हिस्सा “लॉन्च से पहले सर्विस सेंटर” जाना चाह रहा है, तो उसे जबरन पॉलिसी में शामिल करना वैसा ही है जैसे बिना लाइट के स्टेडियम में मैच करवाना।

कहीं ऐसा न हो कि पेट्रोल पंप वाले खुद गाड़ियों से ज्यादा पुराने निकले!

टेक्नोलॉजी VS धरातल – असली जंग यहीं है

दिल्ली में प्रदूषण कम करना जरूरी है, लेकिन आदेशों को लागू करने से पहले तैयारियां भी तो होनी चाहिए!
वरना जनता कहेगी – “आपका सिस्टम बंद है, पर हमारी गाड़ी क्यों रोकी जा रही है?”

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