योगी कैबिनेट बैठी, फैसले निकले: एक्सप्रेसवे बिछे, टर्मिनल उगे

राघवेन्द्र मिश्रा
राघवेन्द्र मिश्रा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में 30 प्रस्ताव एक झटके में पास कर दिए गए।
जिस तरह से प्रस्तावों पर मुहर लगी, ऐसा लगा मानो मंत्रीगण किसी ऑनलाइन शॉपिंग कार्ट को एक क्लिक में ‘ऑर्डर प्लेस’ कर रहे हों।
सबसे बड़ा फैसला—लखनऊ लिंक एक्सप्रेसवे, जो लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा।
इसका मतलब, अब आप घर से निकलेंगे और रास्ते में गूगल मैप नहीं, बस सरकार की स्पीड ही देखेंगे।

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बुंदेलखंड औद्योगिक विकास: अब उद्योग आएंगे या सिर्फ नियमावली बनेगी?

बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास को लेकर सरकार ने एक और “सुनहरा सपना” दिखाया—बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण की नियमावली पास।
मतलब, उद्योग अभी नहीं आए, लेकिन उनके स्वागत में रेड कारपेट तैयार कर दिया गया है। अब बस उद्योगों को निमंत्रण भेजना बाकी है—“आओ और हमारी नियमावली पढ़ो, फिर सोचो कि निवेश करना है या नहीं।”

वृंदावन में पीपीपी मॉडल पर बस टर्मिनल: भगवान खुद ड्राइवर न बन जाएं!

पीपीपी मॉडल यानी “Public Private Partnership”—सरकार कह रही है, “हम ज़मीन देंगे, आप सपना देखो।”
वृंदावन योजना के तहत बनने वाले इस टर्मिनल को देखकर जनता सोच रही है—“क्या यहां से सीधा वैकुंठ धाम की बस भी चलेगी?”
क्योंकि यूपी में बस टर्मिनल बनते हैं, लेकिन अक्सर यात्री सोचते हैं—“बस आई क्यों नहीं?”

जेपीएनआईसी अब एलडीए के हवाले: अब प्राधिकरण ही विकास करेगा

जेपीएनआईसी (Jawahar Bhawan) के संचालन की जिम्मेदारी अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को दी गई है। मतलब, जो प्राधिकरण गड्ढों और अतिक्रमण से जूझ रहा है, अब वो हाईटेक केंद्र भी चलाएगा। अब प्राधिकरण सिर्फ ज़मीन नहीं, टेक्नोलॉजी भी संभालेगा। चलो भाई, डिजीटल इंडिया को नमस्ते!

मंत्री नंदी बोले: “हमने किया सब पार, अब जनता करे इंतजार”

मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने बैठक के बाद प्रेस को जानकारी दी—ऐसे बोले मानो UPSC पास करके खुद लखनऊ लिंक एक्सप्रेसवे बनवा दिए हों।
उनका कहना था कि फैसले ऐतिहासिक हैं, और जनता को लाभ मिलेगा।
हालांकि जनता अब ये पूछ रही है: “इतिहास कब बनेगा भाई? भूगोल तो रोज़ बदल रहा है।”

यूपी बीजेपी अध्यक्ष: कुर्सी तो है, पर बैठेगा कौन?

उत्तर प्रदेश सरकार एक के बाद एक फैसले ले रही है—जैसे शादी में मिठाई बंटती है, चाहे कोई भूखा हो या नहीं। फैसले कागज़ पर तेजी से पास हो रहे हैं, अब बस देखना है कि ज़मीन पर कब असर दिखेगा।
जनता को उम्मीद है कि ये एक्सप्रेसवे, टर्मिनल और नियमावली हकीकत में बदले, न कि सिर्फ “कुर्सी की कहानी” का हिस्सा बने।

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