
गोरखपुर, जिसे अब तक सिर्फ एक धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी के रूप में जाना जाता था, अब देश के चिकित्सा मानचित्र पर भी अपनी मजबूत पहचान बना चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विज़न और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन से जिस एम्स (AIIMS) का सपना कभी सिर्फ कागज़ों तक सीमित था, वह आज पूर्वांचल के करोड़ों लोगों के लिए जीवनदायिनी हकीकत बन चुका है। 30 जून को गोरखपुर एम्स का पहला दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ, जहां सीएम योगी ने इस ऐतिहासिक मौके पर गर्व और भावुकता से भरा संबोधन दिया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक दीक्षांत समारोह नहीं, बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य क्रांति का प्रतीक है।”
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गोरखपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में पहला दीक्षांत समारोह ऐतिहासिक बन गया। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की उपस्थिति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भावनात्मक संबोधन ने माहौल को गौरवमयी बना दिया। सीएम योगी ने इस मौके पर कहा, “2014 से पहले एम्स सिर्फ एक सपना था, आज ये 7 करोड़ आबादी का जीवन रक्षक केंद्र बन चुका है।”
गोरखपुर एम्स: बीज से वटवृक्ष तक का सफर
मुख्यमंत्री ने याद किया कि जब वे 2017 में सीएम बने, तो सबसे पहला कार्य एम्स के लिए जमीन ट्रांसफर कराना था। संघर्ष की कहानी साझा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं वही व्यक्ति हूं जो बीज बोने से लेकर आज वटवृक्ष बनने तक एम्स गोरखपुर की यात्रा का हिस्सा रहा।” 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी और 2021 में इसका लोकार्पण हुआ।
इंसेफेलाइटिस पर केस स्टडी का सुझाव
सीएम योगी ने एम्स के पहले पासआउट बैच से इंसेफेलाइटिस पर केस स्टडी करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस बीमारी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में चार दशकों तक कहर मचाया। 2014 से शुरू हुए ठोस प्रयासों के चलते अब इसका उन्मूलन लगभग हो चुका है।
आने वाला युग रिसर्च का है
सीएम योगी ने कहा कि अब समय है रिसर्च और डेवलपमेंट का। नए डॉक्टरों से उन्होंने आग्रह किया कि वे सामाजिक और भौगोलिक स्थितियों को समझें और उस पर रिसर्च करें। यही आने वाले समय की मांग है।
हर जिले में मेडिकल कॉलेज, पूर्वांचल की बदली तस्वीर
2017 तक पूर्वांचल में सिर्फ बीआरडी मेडिकल कॉलेज था, अब हर जिले में मेडिकल कॉलेज है — देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, अयोध्या, गाजीपुर जैसे जिलों में मेडिकल सुविधाएं बेहतर हुई हैं। जल्द ही बलिया में भी नया मेडिकल कॉलेज बनने जा रहा है।
गोरखपुर: आध्यात्मिकता से चिकित्सा सेवा तक
गोरखपुर की पहचान सिर्फ गोरखनाथ मंदिर या योगी परंपरा से नहीं, अब AIIMS जैसी विश्वस्तरीय स्वास्थ्य संस्था से भी जुड़ गई है। यह शहर महात्मा बुद्ध, भगवान महावीर और संत कबीर की धरती रहा है — अब यह चिकित्सा और शिक्षा का भी नया केंद्र बन चुका है।
गोरखपुर एम्स का पहला दीक्षांत समारोह सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उस सपने का साकार होना है जो कभी अधूरा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इससे जुड़ाव, पूर्वांचल की स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रमाण है।
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