यमन का मिसाइल झटका! इजराइल कांपा, अमेरिका सन्न, जंग की गूंज!

अजमल शाह
अजमल शाह

एक बार फिर मध्य-पूर्व की तपती रेत से धुएं का वो गुबार उठा है जो सीधे अमेरिका और इजराइल की छाती में उतर रहा है। पर इस बार मामला अलग है—हमला हुआ है इजराइल के भीतर, बीर शेवा में। यह वही इलाका है जो हमेशा राजनीतिक नक्शे में शांत और अछूता रहा है। लेकिन अब, यमन ने इसे युद्ध के पहले बड़े मैदान में तब्दील कर दिया।

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बिग्रेडियर जनरल याह्या सारी, यमन के सशस्त्र बलों के प्रवक्ता, ने एलान किया कि “जोलफागर बैलेस्टिक मिसाइल” का सफल प्रहार इजराइल को सीधा संदेश है—ग़ज़ा के लिए यमन किसी भी हद तक जाएगा।

यमन की आग: पीछे कौन है?

इस हमले को अकेले यमन की हिम्मत मान लेना भूल होगी। असल शक्ति पीछे छिपी है—ईरान। वर्षों से ईरान यमन के हूती विद्रोहियों को समर्थन दे रहा है। अब यह समर्थन केवल नैतिक या आर्थिक नहीं, सैन्य और रणनीतिक हो चुका है।

कुछ ही दिन पहले, अमेरिका ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया था। जवाब सीधा तेहरान से नहीं, बल्कि यमन के ज़रिए आया।

तीसरे विश्व युद्ध की भूमिका?

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हमला महज एक जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक रणनीतिक ट्रिगर है।

अमेरिका पहले ही अपने मध्य-पूर्व ठिकानों को अलर्ट मोड पर ला चुका है।

इजराइल में एयर डिफेंस एक्टिव हैं।

ईरान सीधे हमले की धमकी दे रहा है।

और अगर रूस या चीन इस मामले में कूद पड़े, तो विश्व स्तर पर हालात विस्फोटक बन सकते हैं।

अमेरिका चुप लेकिन चिंतित: अगली चाल क्या होगी?

प्रशासन अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दे पाया है। लेकिन अंदरूनी हलचल तेज़ है। पेंटागन जानता है कि यदि यमन पर सीधा हमला किया गया, तो ईरान खुलकर सामने आ सकता है। एक छोटी चिंगारी अब वैश्विक विस्फोट में बदल सकती है।

ट्रंप पर भी ‘मिसाइलों’ की बरसात

डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हाल में दिए अपने भड़काऊ बयानों से नया बवंडर खड़ा कर दिया है। IRGC ने ट्रंप को खुली चेतावनी दी—“अब आपकी ज़ुबान आग उगलती है, तो हम पानी नहीं, आग से ही जवाब देंगे।”

ईरान में लाखों की भीड़ ने हालिया अंतिम संस्कार समारोह को अमेरिका और इजराइल के खिलाफ गुस्से की शक्ति में बदल दिया है।

क्या कूटनीति के पास बची है कोई राह?

जहां एक ओर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सवाल यह है—क्या शांति की कोई खिड़की अब भी खुली है?
संयुक्त राष्ट्र की नजरें इस पूरे घटनाक्रम पर टिकी हैं, लेकिन फिलहाल कूटनीति कमजोर और मिसाइलें तेज़ नजर आ रही हैं।

अब अगली चिंगारी किससे उठेगी?

यमन ने दुनिया को दिखा दिया है कि भूख से जूझते देश भी हथियारों से जवाब दे सकते हैं। अब निगाहें वॉशिंगटन, तेहरान और तेल अवीव पर हैं। क्योंकि यह युद्ध अब सीमाओं पर नहीं, विचारधाराओं और प्रतिशोध के बीच छिड़ चुका है।

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