
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने जो अब तक इनकार किया जाता रहा था, उसे अब स्वीकार कर लिया है। हमारे परमाणु ठिकानों को अमेरिका और इसराइल के हमलों में गंभीर और अत्यधिक नुकसान पहुंचा है।
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यानि अब ये तय है कि हमला सिर्फ कूटनीति पर नहीं, बिजली के तारों और यूरेनियम सेंट्रीफ्यूजों पर भी हुआ है।
खामेनेई बोले: हम जीते हैं!
विदेश मंत्री बोले: नहीं साहब, पिटे हैं… चंद घंटे पहले सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने एलान कर दिया था, अमेरिका को कुछ हासिल नहीं हुआ। हम विजेता हैं!
पर विदेश मंत्री के बयान ने उस जीत का पोस्टर थोड़ा फाड़ दिया। अब इसे सोशल मीडिया पर यूं कहा जा रहा है, Public Statement: Victory!
Internal Report: Emergency Repairs!
परमाणु वार्ता? फिलहाल ‘हॉल्ट’ पर!
इसराइल द्वारा 13 जून को किए गए हमलों के बाद ईरान ने छठे दौर की परमाणु वार्ता को टाल दिया था।
अब अराग़ची ने साफ कहा, हम अमेरिका के साथ परमाणु बातचीत फिर से शुरू नहीं कर रहे हैं।
यानि फिलहाल वियना की वार्ता टेबल पर नहीं, तेहरान की बंकर रिपेयर वर्कशॉप में हलचल है।
अमेरिका का दावा VS ईरान की वास्तविकता
अमेरिकी और इसराइली सुरक्षा एजेंसियों का कहना था कि उन्होंने ईरान के संवेदनशील नतांज़ और फोर्दो साइट्स पर सटीक हमले किए।
खामेनेई ने इसे बम का झूठा प्रचार कहा।
लेकिन अराग़ची ने अप्रत्यक्ष रूप से माना कि अमेरिका का प्रचार शायद थोड़ा कम था।
नुक़सान का आकलन जारी, पर बयान ‘डैमेज कंट्रोल’ से बाहर
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन की ओर से अब इस नुक़सान की गणना की जा रही है। जैसे कोई शादी में शोरशराबे के बाद पूछे – कितनी कुर्सियाँ टूटीं?
बम तो गिरे, लेकिन भरोसा ज्यादा हिला
ईरान अब आधिकारिक तौर पर मान चुका है कि उसे नुक़सान हुआ है। बात सिर्फ यूरेनियम की नहीं, कूटनीतिक क्रेडिबिलिटी की भी है।
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