
RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले द्वारा संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की वैधता पर सवाल उठाने के बाद, कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने इस बयान को “संविधान खत्म करने की सोची-समझी कोशिश” करार देते हुए, इसे RSS और बीजेपी की “संविधान विरोधी सोच” का हिस्सा बताया।
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कांग्रेस का आरोप –400 सीटों का सपना संविधान मिटाने के लिए था
कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, ये बाबा साहेब के संविधान को खत्म करने की वो साजिश है, जो RSS-बीजेपी हमेशा से रचती आई है। लोकसभा चुनाव में खुद बीजेपी नेताओं ने कहा था कि उन्हें संविधान बदलने के लिए 400 सीटें चाहिए। अब ये बयान उसी एजेंडे की अगली कड़ी है।
क्या कहा था होसबाले ने?
गौरतलब है कि होसबाले ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि, आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में दो शब्द जोड़े गए — ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’। ये संविधान की मूल प्रस्तावना में नहीं थे।
उन्होंने कहा कि अब यह विचार किया जाना चाहिए कि ये शब्द प्रस्तावना में रहें या नहीं।
आपातकाल में हुआ था 42वां संशोधन
1976 में इंदिरा गांधी सरकार ने 42वें संविधान संशोधन के तहत ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा था। हालांकि, आज भी ये दोनों शब्द भारतीय लोकतंत्र की मूल आत्मा माने जाते हैं — जिससे संविधान की दिशा और दृष्टि स्पष्ट होती है।
राजनीतिक टकराव और वैचारिक विभाजन
RSS के बयान और कांग्रेस की प्रतिक्रिया ने एक बार फिर देश में संविधान की व्याख्या और उसके मूल्यों पर वैचारिक टकराव को सामने ला दिया है। जहां RSS मूल प्रस्तावना की ओर लौटने की बात कर रहा है, वहीं कांग्रेस इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है।
संविधान का नाम, राजनीति का मैदान
इस पूरे विवाद से यह स्पष्ट है कि संविधान की प्रस्तावना अब सिर्फ पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं, बल्कि राजनीति का ज्वलंत मुद्दा बन चुकी है। वोट, विचार और भविष्य की राजनीति – सब कुछ अब संविधान की इन दो पंक्तियों के इर्द-गिर्द घूमता दिख रहा है।
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