ताजमहल सबने देखा, मुमताज ने नहीं – आज के आशिक ध्यान दें

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

“ताजमहल देखा है? शायद हाँ… लेकिन सोचो, जिसके लिए बना – मुमताज – उसने कभी देखा ही नहीं! इतिहास का ये सबसे बड़ा ‘Seen-Zone’ है, जहाँ प्यार तो अमर हो गया… पर देखने वाली आंखें बंद थीं! शाहजहाँ ने अपनी बेग़म के लिए दुनिया का सबसे महंगा ‘आई लव यू’ लिखा – और वो पढ़ ही नहीं पाई!”

शाहजहाँ ने मुमताज महल की मृत्यु के बाद उनके लिए ताजमहल बनवाया – एक भव्य समाधि जो आज दुनिया के सात अजूबों में गिनी जाती है। इस निर्माण में 20 साल लगे और हज़ारों कारीगरों की मेहनत झोंकी गई।

पर मुमताज ने क्यों नहीं देखा ताजमहल?

क्योंकि मुमताज की मृत्यु 1631 में हो गई थी, और ताजमहल का निर्माण 1632 से शुरू होकर 1653 में जाकर पूरा हुआ।
वो तो इस “प्रेम स्मारक” के दर्शन किए बिना ही इस दुनिया से विदा हो चुकी थीं। यही तो विडंबना है – जिसके लिए बना, वो तो देख ही न सकी।

आशिकों के लिए सबक: प्यार दिखाओ, तो जीते जी!

आज के ‘आशिकों’ को ये समझना चाहिए कि फूल, गिफ्ट या व्हाट्सएप स्टेटस से ज़्यादा जरूरी है समय और साथ। मुमताज ने तो ताजमहल नहीं देखा, पर आपकी वाली ज़िंदा है – उसे आज ही वक़्त दो।

ताजमहल सिर्फ प्रेम का प्रतीक नहीं – इतिहास की गवाही

बहुत लोग नहीं जानते कि ताजमहल के निर्माण के दौरान भारी कर, मजदूरों पर ज़ुल्म और बड़ी आर्थिक कीमत चुकाई गई। तो ताजमहल सिर्फ एक ‘प्रेम कहानी’ नहीं, बल्कि उस दौर की सामाजिक और राजनीतिक हकीकत भी है।

प्रेम दिखाने के सही समय का नाम है ‘अब’

ताजमहल एक अद्भुत रचना है, पर मुमताज के बिना अधूरी। इसीलिए कहावत बनी, “ताजमहल सबने देखा, मुमताज ने नहीं”।

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