
मई 2025 में हुए भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम पर अब बयानबाज़ी का महायुद्ध शुरू हो चुका है। जहां भारत ने दावा किया कि सीज़फायर पाकिस्तान के आग्रह पर हुआ, वहीं पाकिस्तान ने कहा, “हमारी तो ऐसी कोई मुराद ही नहीं थी!” और साथ में अमेरिका और सऊदी को बीच में घसीट लाया।
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हैलो, सीज़फायर चाहिए? – अमेरिका का कॉल
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का कहना है कि 10 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसहाक़ डार को फोन किया और कहा, “अगर पाकिस्तान हां बोले तो भारत मानने को तैयार है।” डार साहब ने भी ‘ठीक है जी’ कहकर सहमति दे दी।
इसके बाद सऊदी के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल ने भी कॉल किया, मानो कह रहे हों – “चलो भाई, झगड़ा न करो!”
भारत का दावा: “सीज़फायर की मांग पड़ोसी ने की!”
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी का कहना है कि ये सब पाकिस्तान की पहल पर हुआ। भारत तो बस शांति का देवता बनकर बैठा था, लेकिन पाकिस्तान ने ही “भाई अब बस करो” वाला भाव दिखाया।
पीएम मोदी ने ट्रंप से बात करते हुए भी स्पष्ट किया कि भारत कोई मध्यस्थता पसंद नहीं करता।
ट्रंप की मध्यस्थता या मज़ाक?
डोनाल्ड ट्रंप भी चुप नहीं बैठे। बोले, “मैंने ही जंग रुकवाई।” अब ये नहीं बताया कि उन्होंने झगड़ा रुकवाया या WhatsApp ग्रुप से Left मार दिया।
सीज़फायर का Pass-The-Parcel
इस पूरे सीज़फायर ड्रामे में कोई भी ये मानने को तैयार नहीं कि उसने पहल की।
भारत: “उसने मांगा।”
पाकिस्तान: “हमने नहीं मांगा, बस हामी भरी।”
अमेरिका-सऊदी: “हम तो बस फोन कर रहे थे, Net Neutrality के लिए।”
सीज़फायर तो हो गया, पर क्रेडिट किसे मिले – इस पर अब दंगल है। 2025 में भारत-पाक रिश्ते अब कूटनीति की बजाय, कॉल रिकॉर्ड्स से तय होंगे!
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