
समय बहुत कम था — महज 40 सेकंड। हर सेकंड मौत के साये को और करीब ला रहा था। यात्रियों की सांसें थमी हुई थीं और जमीन से टकराव अब कुछ ही पल दूर था।
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समय बमुश्किल 40 सेकंड ही बाकी था
मुंबई के पवई इलाके के रहने वाले कुशल पायलट सुमित सभरवाल ने तभी वह कर दिखाया, जो केवल असाधारण लोग ही कर पाते हैं। अनुभव, संयम और क्षणिक निर्णय क्षमता का ऐसा संगम बहुत कम देखने को मिलता है।
सुमित ने खतरा भांप लिया था
सुमित ने महसूस किया कि विमान अब एक भीषण और विषम परिस्थिति में फंस चुका है। हालात अब इंसान के हाथ से लगभग बाहर थे, और हर एक निर्णय जानलेवा साबित हो सकता था।
304 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गिरता विमान
विमान तेज़ी से ज़मीन की ओर गिर रहा था — पूरे 304 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से। ऐसे में अगर ज़रा सी भी चूक होती, तो भयानक तबाही से कोई नहीं बच पाता।
अपनी इच्छाशक्ति और कौशल के बूते…
लेकिन पायलट सुमित सभरवाल ने 600 से 900 फुट की ऊंचाई पर रहते हुए अपने दिमाग और साहस से वह किया जिससे तबाही को काफी हद तक टाला जा सका। यह सिर्फ टेक्निकल निर्णय नहीं, एक भावनात्मक और नैतिक दायित्व भी था, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।
सुमित के पास कोई और रास्ता नहीं बचा था
उस पल में, कोई ‘Plan B’ नहीं था। अगर चूक होती, तो शायद इतिहास में सबसे बड़ी त्रासदी बन जाती। लेकिन उन्होंने आखिरी समय में भी संयम बनाए रखा।
मुश्किल समय में समझदारी से लिया गया फैसला
वो जानते थे कि जहां विमान को गिराना है, वहां हर इंच की अहमियत है। उन्होंने अपनी जान देकर विमान को ऐसी जगह पर लैंड कराया जहाँ जान-माल का नुकसान न्यूनतम हो।
यदि विमान थोड़ा भी दाएं-बाएं गिरा होता…
अगर सुमित सभरवाल से ज़रा भी चूक होती, तो विमान घनी आबादी वाले क्षेत्र में गिरता और कम से कम 25,000 जानें जातीं। उनके इस फैसले ने हजारों परिवारों को उजड़ने से बचा लिया।
देश को मिला नया हीरो
आज पूरा देश सुमित सभरवाल को सलाम कर रहा है। वो सिर्फ एक पायलट नहीं, बल्कि ऐसे ‘Unsung Hero’ हैं जिन्होंने एक असंभव को संभव बनाया। सुमित जैसे लोगों की वजह से ही इंसानियत जिंदा है।