तीसरी बार PM, पहले जैसा दम! गठबंधन में भी ‘मोदी-फाई’ टच बरकरार

जीशान हैदर
जीशान हैदर

नरेंद्र मोदी ने जब 2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तो जनता सोच रही थी — “इस बार कहानी थोड़ी अलग है!”
बीजेपी को बहुमत नहीं मिला, लेकिन एनडीए के सहयोग से सत्ता में वापसी हुई। पर नेताजी ने एक बार फिर साबित कर दिया — “सड़क चाहे गठबंधन की हो, ड्राइविंग तो मोदीजी ही करेंगे!”

250 करोड़ का आशियाना: कपूर बहू के गार्डन में अब तुलसी भी लगेगी

आतंक पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से मिला मुंहतोड़ जवाब

पहलगाम हमले के बाद शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर, तीनों सेनाओं की तालमेल वाली गाथा बन गया। सीमा पार की चहलकदमी पर ‘घंटी’ नहीं, ‘बम’ बजा दिया गया।
विपक्ष सोचता रहा प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या बोले, और मोदीजी खेल गए ‘स्ट्राइक’ का मास्टरस्ट्रोक!

जातिगत जनगणना: ‘समाजशास्त्र का संकल्प’

लंबे समय से चली आ रही जातिगत जनगणना की मांग को सरकार ने ऐतिहासिक मंजूरी दी। अब देश में पहली बार सबकी गिनती होगी — चाहे वोट बैंक हो या वॉट्सऐप ग्रुप! ओबीसी नेता बोले – “इतिहास बदला जा रहा है,” और विपक्ष बोले – “मुद्दा छीन लिया यार!”

वक्फ बोर्ड संशोधन: सहयोगियों से मिला साथ

गठबंधन की सरकार में अक्सर कहा जाता है — “सारे फैसले सर्वसम्मति से हों, नहीं तो बैठक में चाय भी नहीं मिलती!”
लेकिन मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन जैसा विवादास्पद विधेयक भी टीडीपी, जेडीयू और एलजेपी के समर्थन से पास करा लिया। अब कोई कहे गठबंधन में ‘डर’ है, तो उसे संसद टीवी का पास भेजिए!

राज्य चुनावों में बीजेपी की वापसी

लोकसभा चुनावों में भले बहुमत न रहा हो, लेकिन विधानसभा चुनावों में बीजेपी की एंट्री 2.0 हो चुकी है। हरियाणा, महाराष्ट्र और 27 साल बाद दिल्ली में वापसी ने यह दिखा दिया कि “चुनावी हार से आत्मबल नहीं गिरता, बस कैम्पेन का टोन बदलता है!”

सहयोगी दलों के साथ तालमेल: ‘राजनीति में भी रिलेशनशिप मैनेजमेंट’

इस बार मोदी सरकार को टीडीपी और जेडीयू जैसे दिग्गजों का साथ मिला। रातों को कॉल, सुबह मीटिंग्स, और दोपहर में डिनर मीटिंग्स…
गठबंधन चलाना आसान नहीं, लेकिन मोदीजी ने साबित कर दिया — “पॉलिटिक्स हो या पब्लिक रिलेशन — दोनों में हैं हम प्रोफेशनल!”

एक साल, कई फैसले और पुरानी शैली में नया रंग

तीसरे कार्यकाल का पहला साल एक बात साफ करता है — बहुमत नहीं, नेतृत्व चाहिए। और वो तो मोदीजी के पास फुल टैंक में है।फैसलों की धार, घोषणाओं का प्रभाव और गठबंधन का गणित — सबकुछ इस साल मिला, और प्रधानमंत्री ने दिखा दिया कि गठबंधन का गणराज्य भी निर्णायक बन सकता है, अगर कप्तान ‘मोदी’ हो!

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