
बिहार में चुनावी बयार अब साफ-साफ महसूस हो रहल बा। चुनाव आयुक्त विवेक जोशी के पटना पहुँचते ही राजनीतिक गलियारा गरमा गइल बा। ओही बीच चिराग पासवान के पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नया कदम — ‘बहुजन भीम संवाद’ — से राजनीतिक हलचल अउरी तेज हो गइल बा।
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चिराग के ई कार्यक्रम बतावत बा कि ऊ एनडीए में रह के भी स्वतंत्र पहिचान बनावे के राह पर बाड़ें। अब सवाल उठ रहल बा — का चिराग पासवान 2025 में फेर से ओही 2020 वाला रणनीति अपनइहें?
चिराग के रणनीति: मोदी से नजदीकी, नीतीश से दूरी?
2020 में चिराग पासवान अकेले चुनाव लड़ के नीतीश कुमार के नुकसान चखवले रहन। भाजपा से दूरी ना बनाके, खुद के मोदी जी के ‘हनुमान’ बताके, ऊ ‘बी-टीम’ के रूप में देखल गइलन। अब फेर से उहे कड़ी दोहरावे के अटकलबाजी तेज बा।
हाल में मोदी कैबिनेट में चिराग के शामिल होखल, एनडीए से मजबूत रिश्ता के संकेत बा। बाकिर बिहार में सीट बँटवारा अउरी जातिगत समीकरण, चिराग के अगिला चाल के दिशा तय करी।
रणनीतिक सैटिंग के संकेत?
2020 में चिराग के भूमिका के विपक्ष अउरी जेडीयू ‘भाजपा के स्लीपर एजेंट’ मानले रहे। अब अगर चिराग फिर से एनडीए से बाहर लड़लन, लेकिन भाजपा के विरोध ना कइलन, त ई कहनाम गलत ना होई कि ई सब ‘सैटिंग’ के हिस्सा हो सकेला।
राजनीतिक विश्लेषक मान रहल बाड़ें कि चिराग एगो दोहरी रणनीति पर चल रहल बाड़ें —
केंद्र में भाजपा के साथ
राज्य में स्वतंत्र पहचान
ई रणनीति से पासवान वोट बैंक पर पकड़ मजबूत बनल रही अउरी दिल्ली के दरवाजा भी खुलल रही।
चिराग पासवान: किंगमेकर कि किंग?
अब ले चिराग खुद के ‘डिसरप्टर’ (परेशान करइया) बनवले बाड़न। बाकिर उ अब शायद सीधा ‘किंग’ बने के सपना देखत बाड़न। उनका बयान अउरी राजनीतिक कार्यक्रम एह बात के ओर इशारा करत बा कि ऊ हर मोर्चा पर खेल के स्थिति में बाड़न।
बिहार चुनाव 2025 चिराग पासवान के रणनीति पर बहुत कुछ निर्भर करी। ऊ एनडीए में रहबें कि बाहर से समर्थन देबें — ई फैसला अब राजनीति के नया मोड़ दे सकsता। एक बात साफ बा — चिराग के बगैर बिहार के अगिला चुनाव अधूरा रही।
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