IMF फंड का इस्तेमाल पुंछ और उरी में हमले के लिए कर रहा है पाकिस्तान?

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को दिए गए 1 अरब अमेरिकी डॉलर के फंड पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने यह सवाल उठाया है कि क्या यह अंतरराष्ट्रीय फंड वास्तव में आर्थिक सुधार के लिए दिया गया है या इसका इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए हो रहा है?

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उमर अब्दुल्लाह का तीखा ट्वीट: “कैसे माने कि तनाव कम होगा?”

उमर अब्दुल्लाह ने अपने X अकाउंट पर लिखा:

“मुझे समझ नहीं आता कि ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय’ यह कैसे मान रहा है कि दक्षिण एशिया में तनाव कम होगा, जबकि IMF पाकिस्तान को उन हथियारों और गोला-बारूद के लिए पैसा दे रहा है, जिनका इस्तेमाल वह पुंछ, राजौरी, उरी, तंगधार और कई दूसरी जगहों पर हमला करने में कर रहा है।”

उनके इस बयान ने न सिर्फ भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया है कि क्या IMF जैसी वैश्विक संस्थाएं भी पाकिस्तान की दोहरी नीतियों को नजरअंदाज कर रही हैं?

IMF ने पाकिस्तान को क्यों दिया फंड?

IMF ने पाकिस्तान को Extended Fund Facility (EFF) के तहत 1 अरब अमेरिकी डॉलर का फंड जारी किया है। यह राशि पाकिस्तान को उसके आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए दी गई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान इस राशि का सही इस्तेमाल करेगा?

भारत पहले ही पाकिस्तान के इस ट्रैक रिकॉर्ड पर सवाल उठा चुका है। भारत ने इस फंडिंग के लिए हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान का आर्थिक कर्ज का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए हो सकता है।

क्या IMF को जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?

भारत और जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए यह एक गंभीर चिंता है कि पाकिस्तान को मिलने वाला यह अंतरराष्ट्रीय फंड कहीं उन आतंकियों तक तो नहीं पहुंच रहा जो भारत के जवानों और नागरिकों पर हमला करते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि IMF जैसी संस्था को ऐसे देशों के लिए फंड जारी करते समय एक सख्त निगरानी तंत्र बनाना चाहिए। फंड के उपयोग की ट्रैकिंग होनी चाहिए और अगर कोई फंडिंग आतंक या सैन्य गतिविधियों में पाई जाए, तो तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।

भारत की कूटनीतिक चुप्पी या सोच-समझी रणनीति?

जहां उमर अब्दुल्लाह जैसे क्षेत्रीय नेता खुलकर बोल रहे हैं, वहीं भारत सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। यह कूटनीतिक चुप्पी हो सकती है या फिर एक रणनीति कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान खुद अपने झूठे वादों में फंसे।

IMF द्वारा पाकिस्तान को दिया गया यह फंड भारत के लिए सिर्फ एक आर्थिक मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। उमर अब्दुल्लाह के बयान ने इस बहस को और तेज कर दिया है। क्या अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं सिर्फ आंकड़ों में सुधार देखती हैं, या वे यह भी जांचेंगी कि उनके पैसे से कहीं बम और गोलियां तो नहीं खरीदी जा रहीं?

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