
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सियासी हवा बदलत नजर आ रहल बा। अब लड़ाई ना सिर्फ लखनऊ-दिल्ली के गलियारा में, बल्कि पूर्वांचल के गांव-गली, टोला-मोहल्ला में तय होई। भोजपुरी में कहें त— “अब चुनाव गन्ना बेल्ट से हट के गंगा-घाघरा के माटी में लड़े जाई।”
2022 के बाद BJP का पश्चिमी यूपी फार्मूला
2022 विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी समझ गई कि किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी यूपी में नाराजगी आग बन चुकी बा। इहे आग बुझावे खातिर पार्टी ने योगी सरकार में मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बना दिहल।
मकसद साफ रहे— जाट समाज के गुस्सा कम हो। पश्चिमी यूपी में संगठन संभले। कुछ हद तक बात बनल भी,
बाकिर असली झटका त अभी बाकी रहे।
2024 लोकसभा: चोट जहां सोचा ना रहे
2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नुकसान के कहानी पश्चिम में कम, पूर्वांचल में ज्यादा लिखल गई। पश्चिमी यूपी में पार्टी किसी तरह टिक गई, बाकिर पूर्वांचल में वोट भी फिसलल, सीट भी घटल।
इ बीच एक और खेल हो गइल— राष्ट्रीय लोक दल (RLD) NDA में आ गई और जयंत चौधरी सीधे केंद्र में मंत्री बन गइले।
मतलब साफ— पश्चिमी यूपी फिलहाल सेट, अब नजर पूर्वांचल पर।
भूपेंद्र हटे, पंकज आए: संकेत साफ बा
भूपेंद्र सिंह चौधरी का हटना और महाराजगंज सांसद पंकज चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष बनना कोई साधारण बदलाव ना ह। ई सीधा संदेश बा— BJP अब पूर्वांचल को मिशन मोड में ले आई बा।
भले पार्टी के असर पश्चिम में ज्यादा दिखे, बाकिर सत्ता के असली चाभी आजो पूर्वांचल के वोटर के हाथ में बा।
पंकज चौधरी के सामने तीन अग्निपरीक्षा
अब पंकज चौधरी के सामने आसान राह नइखे—
- 2026 पंचायत चुनाव
- 2027 विधानसभा चुनाव
- 2029 लोकसभा चुनाव
पूर्वांचल में चुनाव लड़ल मतलब— हर जाति, हर तबका, हर गांव के हिसाब किताब समझल। यहां वोट भावना से कम जातीय गणित से ज्यादा पड़ेला।

पूर्वांचल: जहां हर जाति राजा बा
पूर्वांचल की राजनीति सीधी-सादी नइखे। इहां यादव, कुर्मी, दलित, ब्राह्मण, राजभर— सबके अपना-अपना गणित बा। भाजपा पिछला दस साल में कई social engineering आजमा चुकी बा, बाकिर पूर्वांचल आजो पूरी तरह फतह ना हो पावल।
मोदी-योगी पहले से मैदान में
ध्यान दीं—
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर
मतलब नेतृत्व पहले से ही पूर्वांचल के माटी से जुड़ल बा। अब पंकज चौधरी के जरिए संगठन को जमीनी ताकत देवे के तैयारी बा।
आंकड़ा भी बोलता
BJP के 45 साल के इतिहास में— UP में बने 16 प्रदेश अध्यक्ष- उनमें से 10 पूर्वांचल से- और 8 खांटी पूर्वांचल से रहे मतलब साफ बा—
पूर्वांचल हमेशा से BJP के सियासी DNA में रहा।
PDA बनाम BJP: अगली बड़ी भिड़ंत
राजनीतिक जानकार मानत बाड़े कि कुर्मी समाज से आवे वाले पंकज चौधरी को आगे कर BJP, सपा के PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फार्मूला तोड़े के कोशिश में बा। 2024 में अखिलेश यादव के ई समीकरण पूर्वांचल में BJP के भारी पड़ल रहे।
अब सवाल ई बा— का पिछड़ा नेतृत्व फिर से खेल पलटेगा?
भोजपुरी में कहें त— “अब देखे के बा कि जाति भारी पड़ेला या संगठन।”
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