
दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू को आखिरकार बॉम्बे हाई कोर्ट से ज़मानत मिल गई. जी हाँ, वही Bhima Koregaon वाला हाई-प्रोफाइल केस जिसमें हर बार कुछ नया मोड़ आ जाता है—लेकिन ट्रायल? वो तो अब भी शुरू होने को तैयार नहीं!
2022 में कोर्ट ने उनकी बेल याचिका ठुकरा दी थी, लेकिन अब समीकरण बदले हैं, और पांच साल से ज़्यादा जेल में बिताने के बाद उन्हें राहत दी गई है. कैसे न मिलती! पाँच साल में तो लोग किताबें लिख डालते हैं, ये बेचारे अभी ट्रायल की पहली लाइन तक नहीं पहुंचे…
केस क्या है? Why So Serious?
हनी बाबू समेत 15 एक्टिविस्ट, शिक्षाविदों और वकीलों पर आरोप है कि उन्होंने Bhima Koregaon (2018) में जातीय तनाव भड़काया।
इसके साथ ही UAPA के तहत आतंकवाद, CPI (Maoist) से संबंध, और “PM की हत्या की साजिश” जैसी भारी-भरकम धाराएँ भी लगीं।
लेकिन असली सस्पेंस यहाँ है—ट्रायल कब शुरू होगा?
कोर्ट ने माना—“नज़दीक भविष्य में नहीं।”
बचाव पक्ष की दलील
हनी बाबू ने बिल्कुल Netflix-style प्रिसिशन में कहा:
– “मैं पाँच साल से जेल में हूँ।”
– “ट्रायल जल्द खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं।”

और कोर्ट भी मान गया। हालाँकि, ऑर्डर की लिखित कॉपी अभी भी ‘loading…’ पर है।
राजनीतिक हलकों में खलबली
जैसे ही खबर बाहर आई, सोशल मीडिया पर मीम फैक्टरी चालू— “UAPA भी अब Netflix की सीरीज़ की तरह है, नया सीज़न कब आएगा किसी को नहीं पता!”
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