जो हुआ सो हुआ… घोसी में उपचुनाव फिर से हुआ

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

उत्तर प्रदेश के मऊ की घोसी विधानसभा सीट एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीतिक हलचल का केंद्र बनने वाली है।
समाजवादी पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह का गुरुवार को मेदांता अस्पताल में निधन हो गया, और उनके जाने के साथ ही सीट दोबारा रिक्त हो गई। 2023 में हुए उपचुनाव की धूल अभी पूरी तरह बैठी भी नहीं थी कि घोसी फिर से By-Election मोड में जा रही है।
यानी— “घोसी: जहां चुनाव खत्म होने का नाम ही नहीं लेता।”

नियम साफ: सीट खाली = छह महीने में चुनाव

भारत के चुनावी नियमों के अनुसार, अगर किसी जनप्रतिनिधि का अचानक निधन, इस्तीफा, या अयोग्यता हो जाए, तो छह महीने के भीतर चुनाव कराना पड़ता है।

इसलिए 2027 के UP विधानसभा चुनाव से पहले ही घोसी सीट पर फिर से जनता वोटिंग मशीन की बटन दबाती दिखेगी। और मुकाबला?
SP बनाम BJP — दोनाें की प्रतिष्ठा फिर दांव पर।

उपचुनाव में चमके थे सुधाकर सिंह

2022 में घोसी से दारा सिंह चौहान (तब सपा, बाद में भाजपा) जीते थे। लेकिन 2023 में उन्होंने इस्तीफा देकर BJP का दामन थाम लिया।

जब उपचुनाव हुआ— BJP ने फिर दारा सिंह चौहान को उतारा। SP की तरफ से सुधाकर सिंह मैदान में आए। पर कहानी में ट्विस्ट— सुधाकर सिंह ने दारा को 50 हजार वोटों से हराकर चुनावी धरती हिला दी। यह जीत सिर्फ जीत नहीं, SP के लिए symbolic comeback थी।

लेकिन अब… ढाई साल बाद सीट फिर रिक्त। सियासी रणभूमि फिर तैयार।

सपा और भाजपा दोनों में शोक

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद मेदांता अस्पताल पहुंचे, परिजनों से मुलाकात की और लिखा— “यह अत्यंत दुःखद है, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।”

UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा— “विनम्र श्रद्धांजलि। प्रभु राम दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।”

राजनीति में विचारधारा भिन्न हो सकती है, पर दुख और सम्मान की भाषा सभी की एक ही होती है।

अब क्या होगा? — 2024 की तरह ‘फिर से’ बड़ा मुकाबला

घोसी में अब फिर चुनावी ढोल बजेंगे। सवाल है— क्या SP अपना किला बचा पाएगी? क्या BJP दारा सिंह चौहान को फिर उतारेगी? या कोई नया चेहरा मैदान में आएगा?

जो भी हो, घोसी सीट फिर से TRP वाला इलाका बन चुकी है। UP की राजनीति = घोसी रीलोडेड।

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