
“आतंकवाद किसी का सगा नहीं होता” — ये लाइन अब पाकिस्तान के लिए ‘रियलिटी चेक’ बन चुकी है। जो मुल्क सालों से आतंक को एक्सपोर्ट करने की फैक्ट्री चला रहा था, अब उसी के गोदाम में ब्लास्ट हो रहा है।
बलूचिस्तान में फिर दहाड़ा ‘आज़ादी’ का शेर!
बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने सीधा पाक सेना को टारगेट किया। नतीजा? 5 सैनिक ढेर, 2 गंभीर रूप से घायल। ये वही बलूच हैं जो सालों से आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे हैं, और अब उनके सब्र का पैमाना छलक गया है।
एक दिन पहले ही TTP ने दी थी दस्तक
सोमवार को खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने पाक फौज पर हमला बोला। बहाना बना — SNGPL पाइपलाइन पर हमला, और असल निशाना बने फौजी। फिर से 5 जवान मारे गए। जवाबी कार्रवाई में 8 आतंकियों के मारे जाने की बात कही जा रही है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में कितनी सच्चाई है — ये तो खुद पाकिस्तान भी नहीं जानता।
अब फौज का मनोबल डाउन, सरकार का कंट्रोल लॉस्ट
दो दिन में 10 सैनिकों का मारा जाना किसी भी देश के लिए बड़ा झटका होता है — लेकिन पाकिस्तान में ये “रूटीन ब्रेकिंग न्यूज़” बन चुका है। हालात ऐसे हैं कि ISPR की प्रेस रिलीज़ से पहले सोशल मीडिया पर लोग मीम्स बना लेते हैं।
‘आतंक के ब्रांड एंबेसडर’ अब खुद टारगेट
कभी दुनिया को आतंक का एक्सपोर्टर माना जाने वाला पाकिस्तान अब खुद अपने बनाए हुए नेटवर्क में फंस चुका है। BLF, TTP, IS-K — सबने एक साथ मोर्चा खोल दिया है।

अब सवाल ये नहीं है कि हमला कहां होगा — सवाल ये है कि “अगला नंबर किसका?”
पाकिस्तान का आतंकी प्रेम अब उस पर ही भारी पड़ रहा है। एक तरफ बलूच अलगाववादी संगठन हैं, तो दूसरी ओर टीटीपी जैसे कट्टर इस्लामिक आतंकी संगठन। ये घटनाएं बताती हैं कि आतंक से खेलना, खुद की तबाही का रास्ता खोलना है। अब देखना ये है कि पाकिस्तान इसे समझेगा या और गहराई में डूबेगा।
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