
उत्तर प्रदेश की राजनीति में रविवार का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया जब योगी आदित्यनाथ ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत का रिकॉर्ड तोड़ दिया और बन गए UP के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता।
8 साल और 132 दिन — और गिनती जारी है।
19 मार्च 2017: जब शुरू हुआ ‘योगी युग’
2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने पहली बार शपथ ली थी, तो कई राजनीतिक पंडितों ने इसे “एक प्रयोग” कहा। लेकिन यह प्रयोग नहीं, पॉलिटिकल परमानेंट बन गया। 2022 में दोबारा सत्ता में वापसी के साथ उन्होंने साबित कर दिया — “CM कुर्सी पर सिर्फ बैठने नहीं, टिकने का भी टैलेंट चाहिए!”
एक सन्यासी से सीएम तक: योगी का सफर
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1998: 26 साल की उम्र में देश के सबसे युवा सांसदों में शामिल
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5 बार लोकसभा जीत
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गोरखनाथ मठ के महंत से राजनीति के महायोगी तक का सफर
सन्यासी बनकर राजनीति में आए, लेकिन अब कुर्सी योग में महारत हासिल कर चुके हैं।
प्रशासन और विकास का डबल डोज
योगी के कार्यकाल में फोकस रहा:
कानून व्यवस्था
माफिया मुक्त यूपी
धार्मिक स्थलों का पुनरुद्धार
औद्योगिक निवेश
महिला सुरक्षा
बोलते कम हैं, बुलडोजर ज्यादा चलता है।

2027: क्या फिर रचेंगे इतिहास?
अगर 2027 में योगी फिर से सीएम बने, तो न सिर्फ यूपी में बल्कि देशभर में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेताओं की लिस्ट में शीर्ष पर आ सकते हैं।
मतलब अब कीर्तिमान से नहीं, कैलेंडर से मुकाबला हो रहा है।
योगी का ग्राफ: यूपी से निकलकर राष्ट्रीय फलक तक
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि योगी की लोकप्रियता अब केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। उनकी सख्त, स्पष्ट और बुलडोज़िंग शैली ने उन्हें भाजपा के टॉप चेहरों में शामिल कर दिया है।
कुर्सी बोल रही है – “थक गई हूं योगी जी, लेकिन आप नहीं!”
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि योगी की कुर्सी अब खुद मेडिकल चेकअप पर जाना चाहती है। 8 साल, 132 दिन और बिना छुट्टी – कुर्सी भी कह रही होगी, “योगी जी, आप तो सन्यासी थे, ये वर्कोहॉलिक कैसे बन गए?”
अब नहीं सिर्फ मुख्यमंत्री, बन चुके हैं ‘मॉडल’
योगी आदित्यनाथ अब सिर्फ एक नाम नहीं, एक ब्रांड, एक स्टाइल, और एक संकेत बन चुके हैं — कि अगर जनता का भरोसा मिल जाए, तो एक सन्यासी भी मुख्यमंत्री बनकर इतिहास लिख सकता है।
2027 में क्या फिर वही कहानी दोहराई जाएगी?
फिलहाल इतना तय है — “योगी युग” अब सिर्फ शुरू हुआ है, समाप्ति की कोई तारीख तय नहीं।
