Waqf Sanshodhan Adhiniyam 2025 पर सुप्रीम ब्रेक!

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए अंतरिम आदेश को कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने ‘बड़ी राहत’ बताया है। प्रतापगढ़ी इस मामले के प्रमुख याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं, जिन्होंने इस क़ानून को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी थी।

उनका कहना है कि, “सरकार की मंशा पर सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगाया है। लाखों लोगों को राहत मिली है जो डर में जी रहे थे कि उनकी ज़मीनें छीनी जाएंगी।”

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने पूरा कानून रद्द नहीं किया, लेकिन कुछ प्रमुख विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाई है:

  • ग़ैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा तय:
    वक़्फ़ बोर्ड में 3 और वक़्फ़ काउंसिल में 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते।

  • डीएम के अधिकार पर रोक:
    कलेक्टर यह तय नहीं कर सकता कि कोई संपत्ति सरकारी है या वक़्फ़। यह अधिकार संविधान के “सेपरेशन ऑफ पावर्स” के खिलाफ है।

  • पाँच साल तक इस्लाम मानने की शर्त पर रोक:
    वक़्फ़ संपत्ति घोषित करने के लिए पाँच साल तक इस्लाम मानने की शर्त पर अस्थायी रोक।

सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति पंजीकरण से संबंधित प्रावधानों को जारी रखा है।

क्यों उठी आपत्ति?

  • डीएम को सर्वे का अधिकार:
    नया कानून वक़्फ़ कमिश्नर का अधिकार खत्म कर देता है। अब डीएम यह तय करेगा कि कोई संपत्ति वक़्फ़ है या नहीं।

  • ग़ैर-मुस्लिम सदस्य:
    मुस्लिम संगठनों का कहना है कि धार्मिक ट्रस्ट में ग़ैर-धार्मिक सदस्य संविधानिक भावना के खिलाफ हैं।

  • ‘वक़्फ़ बाय यूज़र’ खत्म करने की कोशिश:
    लंबे समय से धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल हो रही ज़मीनों पर वक़्फ़ का दावा अब खतरे में है।

भारत में वक़्फ़ की संपत्तियाँ कितनी बड़ी हैं?

  • कुल संपत्तियाँ: 8.7 लाख से अधिक

  • कुल क्षेत्रफल: 9.4 लाख एकड़

  • अनुमानित वैल्यू: ₹1.2 लाख करोड़ से अधिक

  • वक़्फ़ संपत्ति भारत में सेना और रेलवे के बाद सबसे बड़ी ज़मीनी संपत्ति है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा वक़्फ़ संपत्ति वाला देश है।

राजनीतिक बवाल और संसद से सुप्रीम कोर्ट तक की कहानी

  • 2 अप्रैल 2025: लोकसभा में बिल पास — 288 वोट समर्थन में

  • 3 अप्रैल: राज्यसभा में पास — 128 वोट समर्थन में

  • 5 अप्रैल: राष्ट्रपति की मंज़ूरी

  • 16-22 मई: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

  • 13 सितंबर: अंतरिम आदेश जारी — कुछ प्रावधानों पर रोक

क्या आगे और बढ़ेगी कानूनी लड़ाई?

कांग्रेस, मुस्लिम संगठनों और याचिकाकर्ताओं का मानना है कि यह “एक बड़ी जीत की पहली सीढ़ी” है। वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि यह क़ानून सिर्फ पारदर्शिता और सुधार लाने के लिए लाया गया है।

 अब यह मामला लंबी सुनवाई की ओर बढ़ रहा है — अंतिम फ़ैसला अभी आना बाकी है।

वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर उठे विवाद और सुप्रीम कोर्ट की आंशिक रोक ने एक नई बहस को जन्म दिया है — धार्मिक संपत्तियों की रक्षा बनाम सरकारी नियंत्रण। अब देखना होगा कि आगे यह मामला क्या रुख लेता है।

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