
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) का अंतिम चरण चल रहा है और इसी को लेकर राजनीति में तेज हलचल है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने SIR प्रक्रिया की मॉनिटरिंग के लिए 44 बड़े नेताओं को जिलावार जिम्मेदारी सौंप दी है।
उन्होंने खुद भी फॉर्म भरकर बीएलओ को सौंपा और अगले ही दिन पार्टी नेताओं को मैदान में उतार दिया ताकि समर्थक मतदाताओं के नाम हर हालत में सूची में शामिल हो सकें।
किन दिग्गजों को मिली कौन-कौन सी जिम्मेदारी?
सपा की सूची के अनुसार कई राष्ट्रीय पदाधिकारियों को एक से अधिक जिलों का प्रभार मिला है—
- बलराम यादव – आजमगढ़
- शिवपाल यादव – इटावा व बदायूं
- विशम्भर प्रसाद निषाद – बांदा, फतेहपुर
- रामजी लाल सुमन (राज्यसभा सांसद) – आगरा, हाथरस
- हरेन्द्र मलिक – मुजफ्फरनगर, सहारनपुर
- नीरज पाल – बागपत
- कमान अख्तर – मुरादाबाद, संभल
- डॉ. मधु गुप्ता – लखनऊ
- ओमप्रकाश सिंह – गाजीपुर
- राजीव राय – मऊ, बलिया
- अभिषेक मिश्रा – लखनऊ महानगर
इन सभी को आदेश दिया गया है कि वे बूथ-स्तर की स्थिति, फॉर्म वितरण, अपलोडिंग और बीएलओ–मतदाता बातचीत पर लगातार रिपोर्ट भेजें।
20,000 नाम हटाए जाने का बड़ा दावा!
मऊ और बलिया प्रभारी राजीव राय ने निरीक्षण के बाद दावा किया कि मऊ सदर क्षेत्र से लगभग 20,000 नाम हटाए गए हैं। उनका कहना है कि “सभी सबूत इकट्ठे करके चुनाव आयोग को सौंपे जाएंगे ताकि गलत तरीके से हटाए गए नाम वापस जोड़े जा सकें।” यह दावा सियासत को और गर्म कर रहा है।
क्या कहती है SP?—”OBC-Dalit वोट हटाए जा रहे”
सपा का आरोप है कि SIR के जरिए OBC और दलित वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं। इसी वजह से पूरी पार्टी को जमीनी स्तर पर एक्टिव किया गया है ताकि किसी लेवल पर गड़बड़ी न हो।

Akhilesh ने क्यों मांगा SIR अवधि बढ़ाने का सुझाव?
अखिलेश व डिंपल यादव का कहना है— विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, समय कम है कई क्षेत्रों में फॉर्म लेने-देने में दिक्कतें आ रही हैं। इसलिए SIR की समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि सही मतदाता सूची बन सके।
SP की रणनीति — लड़ाई से पहले ‘निगरानी मॉडल’
SIR में सुधारों व आपत्तियों की प्रक्रिया 4 दिसंबर के बाद भी जारी रहेगी। इसीलिए SP ने विरोध के बजाय प्रो–एक्टिव निगरानी का मॉडल अपनाया है।
उद्देश्य साफ है— वोटबैंक सुरक्षित रहे, नाम न छूटे, न कटे।
Airstrike से आगबबूला अफगानिस्तान—बोला: जवाब ऐसा होगा याद रखोगे
