ट्रंप का टैरिफ़ तड़का: भारत को 25% झटका, रूस से तेल ख़रीदने की ‘सज़ा’

अजमल शाह
अजमल शाह

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कूटनीति के खेल में मसाला डाल दिया है। एक अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के साथ ही उन्होंने रूस से हथियार और तेल ख़रीदने के लिए भारत को ‘पेनल्टी’ का नया तोहफा दे दिया है।

अब भारत से अमेरिका जाने वाले हर माल पर टैरिफ चढ़ेगा और इसके पीछे की वजह? रूस के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी।

रूस से रक्षा सौदे: अमेरिका को क्यों मिर्ची लगी है?

ट्रंप की शिकायत ये है कि भारत, रूस से सैन्य उपकरण और तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद कर रहा है। ऐसे में उनका सुझाव सीधा है: “रूस नहीं, अब हमें ख़रीदो!”

लेकिन रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि भारत अमेरिकी उपकरण से ज़्यादा रूस पर भरोसा करता है – वो भी तकनीक समेत। अमेरिका सिर्फ़ ‘हार्डवेयर’ देता है, ‘सॉफ्टवेयर’ (यानि तकनीकी जानकारी) नहीं।

दबाव, पर भारत बोला – नो टेंशन!

भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी पहले ही संकेत दे चुके हैं कि दबाव से भारत की नीति नहीं बदलेगी। तेल की आपूर्ति में भारत के पास विकल्प हैं – लेकिन क्या रक्षा में भी हैं?

मेंटेनेंस मैटर: रूस के बिना पेंच ढीले

आज भी भारत के 60-70% सैन्य उपकरण रूसी हैं। इनकी सर्विसिंग और पार्ट्स सिर्फ रूस से ही मुमकिन हैं। अगर ट्रंप का दबाव भारत को रूस से दूर करता है, तो ये उपकरण कबाड़ में बदल सकते हैं।

भारत की दुविधा: रूस से दूरी या चीन-पाक गठजोड़ का खतरा?

विशेषज्ञ अजीत उज्जैनकर का मानना है कि भारत रूस से दूरी का जोखिम नहीं ले सकता। रूस अगर चीन के करीब गया तो पाकिस्तान को भी उससे सहारा मिल सकता है।

रूस, चीन और पाकिस्तान – अगर एक ही खेमे में आ गए, तो भारत के लिए ये कूटनीतिक तिकड़ी भारी पड़ सकती है।

क्या अमेरिका, रूस बन सकता है? नहीं!

रूस भारत का ‘ओल्ड स्कूल बडी’ रहा है। अमेरिका – चाहे ट्रंप हों या बाइडन – बार-बार अपनी नीतियां बदलता रहा है। भारत जब परमाणु परीक्षण कर रहा था, तब अमेरिका ने पाबंदी लगाई थी, रूस ने साथ दिया था। ये भरोसे की बात है।

रूस से दूरी = चाबहार, नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर अधूरा

अगर भारत रूस से दूरी बनाता है, तो ईरान में चाबहार पोर्ट और अंतरराष्ट्रीय कॉरिडोर की योजनाएं भी रुक सकती हैं। अमेरिका इनमें भरोसेमंद साझेदार साबित नहीं हुआ है।

‘ट्रंप कार्ड’ खेला, लेकिन भारत का जवाब पक्का है

ट्रंप ने टैरिफ़ का ट्रंप कार्ड फेंका है, लेकिन भारत अभी झुकेगा नहीं। रक्षा, ऊर्जा और कूटनीति – इन तीनों मोर्चों पर भारत अपनी स्वतंत्र नीति को जारी रखेगा।

रूस से रिश्ते सिर्फ तेल और हथियार का सौदा नहीं – ये इतिहास, रणनीति और भविष्य की मजबूरी भी है।

“नीतीश जी 20 साल मूंगफली छीलत रहलन?” — तेजस्वी के तेज हमला!

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