
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यालय से फिर एक नया दावा निकला है — व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि अमेरिका के आग्रह पर भारत ने रूस से तेल की खरीद में कमी की है।
उनके मुताबिक, “भारत समेत कई देशों ने ट्रंप प्रशासन के अनुरोध को मानते हुए रूस से तेल व्यापार घटाया है। यहां तक कि चीन ने भी ऐसा किया।”
यानी संक्षेप में — “तेल में भी अब ट्रंप का इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग चल रहा है!”
भारत बोला – “हम अपने हित में तेल खरीदते हैं, ट्रंप की अनुमति से नहीं!”
भारत ने इस अमेरिकी दावे को सीधा खारिज कर दिया। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच “तेल व्यापार को लेकर कोई बातचीत” नहीं हुई।
भारत का कहना है —“हम अपनी ऊर्जा नीति खुद तय करते हैं, और हमारे उपभोक्ताओं का हित हमारी प्राथमिकता है।”
मतलब साफ है — “ट्रंप बोले चाहे तेल घटाओ या बढ़ाओ, भारत बोले—बजट संभालो!”
तेल की डिप्लोमैसी – ट्रंप का नया ‘प्रेशर पॉलिटिक्स पैकेज’
राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही भारत पर 25% टैरिफ पेनल्टी लगा चुके हैं और अब रूस से तेल खरीद कम करने का दावा कर रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ, भारत का जवाब कूटनीतिक लेकिन ठंडा था — “हम ग्लोबल पॉलिटिक्स नहीं, अपनी पेट्रोल पंप पॉलिसी पर चलते हैं।”
रूस से नाराज़ ट्रंप – “पुतिन अब शांति वार्ता में दिलचस्प नहीं”
कैरोलिन लेविट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा — “राष्ट्रपति ट्रंप रूस-यूक्रेन संघर्ष खत्म करने की कोशिशों में गंभीर हैं, लेकिन पुतिन की उदासीनता से निराश हैं।”

यानि शांति वार्ता का हाल वैसा है जैसे WhatsApp चैट में ‘seen’ दिखे पर reply न आए!
“जब ट्रंप बोले, मोदी मुस्कुराए… लेकिन कुछ बोले नहीं!”
अमेरिका दावा कर रहा है कि मोदी ने ट्रंप की बात मानी, भारत कह रहा है कि “ऐसा कोई ऑडियो-वीडियो प्रूफ नहीं!”
दुनिया सोच में है कि आखिर ये तेल की डील है या रिश्तों का ‘Who said it first’ गेम!
तेल की जंग में सबका दावा, सच्चाई अभी फ्यूल टैंक में बंद!
अमेरिका ट्रंप के दावे से अपनी जीत दिखा रहा है, भारत अपनी स्वतंत्र नीति का झंडा ऊँचा रख रहा है, और रूस अब भी कह रहा है — “तेल हमारा, पैसा तुम्हारा, तो नाराज़ी क्यों भाई?
1.37 लाख किसान, 3790 क्रय केंद्र और धान MSP – योगी का अन्नदाता साथ!
