
राजनीति में निष्ठा बदलना कोई नई बात नहीं, लेकिन इस बार यूपी की विधानसभा में सपा के तीन विधायकों ने ऐसी बाज़ी मारी कि वोट तो क्रॉस किया, लेकिन सीट भी क्रॉस कर बैठे!
23 जून को समाजवादी पार्टी से निकाले गए मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, और अभय सिंह को अब विधानसभा ने भी ‘नमस्ते’ कह दिया है।
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क्या था पूरा मामला?
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ये तीनों विधायक 2024 के राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी आलोक रंजन के खिलाफ जाकर भाजपा उम्मीदवार संजय सेठ को वोट दे बैठे।
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सपा ने इसे “विचारधारा से धोखा और जनादेश से गद्दारी” करार दिया।
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5 जुलाई को पार्टी ने विधानसभा सचिवालय को इनके निष्कासन की सूचना दी।
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9 जुलाई को प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे ने तीनों को “असम्बद्ध” घोषित कर दिया।
अब विधायक नहीं रहेंगे… बस एक्स-विधायक कहलाएंगे!
अब यह तिकड़ी न सदन में सपा के कहलाएंगे, न किसी राजनीतिक दल से जुड़े माने जाएंगे। जनता ने जिताया था, पार्टी ने निकाला, और अब विधानसभा ने ऑफिशियल मोहर भी लगा दी!
सपा ने क्या कहा?
सोशल मीडिया पोस्ट में समाजवादी पार्टी ने तीनों पर लगाया:
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सांप्रदायिकता और विभाजनकारी राजनीति का समर्थन
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किसान, महिला, युवा और नौकरीपेशा वर्ग विरोधी नीतियों का सहयोग
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पार्टी की PDए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) नीति विरोधी रवैया अपनाने का आरोप
सपा ने कहा कि हृदय परिवर्तन की “अनुग्रह अवधि” पूरी हो गई है, अब “कार्रवाई की बारिश” जरूरी थी।
“सीट गई, ट्वीट बढ़े!”
जिस तरह से इन विधायकों की राजनीतिक यात्रा ने मोड़ लिया, सोशल मीडिया पर जनता भी “अब MLA का मतलब – Missing Loyalty Always!” जैसे कमेंट्स कर रही है।
लगता है ‘राजनीति में लव मैरिज’ की तरह ‘वोटिंग में अरेंज्ड सेटिंग’ करना अब भारी पड़ सकता है।
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