सीज़फायर पर बहराइच की जनता की राय: पाकिस्तान से नहीं, भारत की तैयारी से है भरोसा

अजमल शाह
अजमल शाह

भारत-पाकिस्तान सीमा पर 4 दिनों तक चले टकराव के बाद हुई सीज़फायर की घोषणा पर बहराइच के लोग सतर्क हैं। शांति के पक्ष में तो सब हैं, मगर पाकिस्तानी मंशा पर शक गहराता जा रहा है। यहाँ के लोगों ने साफ तौर पर कहा कि भारत को नर्मी नहीं, रणनीतिक सख़्ती बनाए रखनी चाहिए।

गोरखपुर की ज़मीन से उठी आवाज़ – “सीज़फायर ठीक है, लेकिन भरोसा नहीं”

बहराइच की ज़ुबानी – शांति ज़रूरी, मगर सजगता पहली शर्त

समीउल्लाह खान :
“शांति की पहल स्वागतयोग्य है, लेकिन पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड झूठ और धोखे से भरा है। भारत को हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा।”

रुबिना नाज़ :
“अमन की दुआ हर दिन करते हैं, मगर पाकिस्तान को समझना होगा कि आतंक के खिलाफ भारत अब चुप नहीं रहेगा।”

रामगोपाल वर्मा :
“पाकिस्तान अब मजबूरी में शांति चाहता है। ये भारत की निर्णायक नीति का असर है।”

मोहम्मद ताहिर :
“हम भारतीय मुसलमान हैं, हमें भारत की सुरक्षा पहले है। पाकिस्तान को जवाब उसी भाषा में देना चाहिए जो वह समझे – ताक़त।”

गीता वर्मा :
“हम अपने जवानों पर गर्व करते हैं। सीज़फायर से ज़्यादा जरूरी है – भरोसे की काबिलियत, जो पाकिस्तान में नहीं है।”

जनता की चेतावनी: अगली बार चूक नहीं, चट्‌टान जैसी प्रतिक्रिया

बहराइच की आम जनता—बुज़ुर्ग से लेकर युवा तक—इस सीज़फायर को भारत की मजबूती और पाकिस्तान की कमजोरी का नतीजा मानते हैं। लोग मानते हैं कि पाक के बदले तेवर की वजह भारत की स्पष्ट और सख्त सैन्य नीति है, जिसका असर साफ दिख रहा है।

बहराइच के लोग मानते हैं कि भारत को अब “शांति के भ्रम से बाहर आकर रणनीति के शिखर पर रहना होगा।” क्योंकि…

“दुश्मन जब हथियार डालता है, तब भी वो चाल चल रहा होता है।”

बागी बलिया बोलेला – पाकिस्तान के भरोसा कइसे? भारत तैयार रहे के चाहीं!

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