उच्चतम न्यायालय ने एक बार फिर बता दिया कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए!यौन हमलों से जुड़े मामलों में असंवेदनशील न्यायिक टिप्पणियाँ अदालतों, पीड़ितों और समाज—तीनों को हिला देती हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की के स्तन पकड़ना, कपड़े उतारने की कोशिश या पायजामे का नाड़ा तोड़ना “रेप की कोशिश नहीं” है!अब भला इसमें और क्या रह गया?—यही तो देश भर में सवाल उठ रहा है। “रात का समय…
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