उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री और स्वतंत्र भारत के गृहमंत्री भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत की 138वीं जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। गोरखनाथ मंदिर के कार्यालय परिसर में हुए इस आयोजन में CM योगी ने पंत जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें “भारत मां का सच्चा सपूत” बताया। स्वतंत्रता के बाद यूपी के पुनर्निर्माण में निभाई थी ऐतिहासिक भूमिका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पंडित गोविंद वल्लभ पंत ने आजादी के बाद जब देश बिखरी हुई व्यवस्था और…
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नेताजी की कहानी: जिसने अंग्रेज़ों की नींद उड़ा दी
23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में जन्मे सुभाष चन्द्र बोस एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रसिद्ध वकील थे और मां प्रभावती देवी एक धार्मिक महिला थीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई Presidency College, Calcutta और फिर Cambridge University, England से की। देशभक्ति का जुनून और कांग्रेस से अलगाव सुभाष जी बचपन से ही राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जॉइन की लेकिन महात्मा गांधी की अहिंसा नीति से पूरी तरह सहमत नहीं थे। 1939 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी खुद की पार्टी बनाई – Forward…
Read Moreभगवान बिरसा मुंडा – धरती आबा का ‘उलगुलान’ आज भी ज़िंदा है
भगवान बिरसा मुंडा सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं, बल्कि एक विचार, एक आवाज़ और एक आन्दोलन थे। उन्होंने 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश हुकूमत और सामाजिक अत्याचारों के खिलाफ आदिवासी समाज को झकझोरा और उसे उसके अधिकारों के लिए खड़ा किया। आज, 9 जून 2025 को उनकी 125वीं पुण्यतिथि पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। सिद्ध बाबा की पहाड़ी न्यूक्लियर साइट? लड़के कर रहे थे ‘देसी बम’ की टेस्टिंग उलगुलान: जब जंगल से उठी बगावत की गर्जना बिरसा मुंडा ने सिर्फ बंदूक या बगावत से…
Read Moreसिर्फ’राजा भैया’ ही नहीं, एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत है प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश का प्रतापगढ़ जिला पूर्व मंत्री राजा भैया की वजह से सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस जिला की पहचान सिर्फ राजनीति या बाहुबली छवि से नहीं होनी चाहिए। प्रतापगढ़, जिसे स्थानीय लोग ‘बेल्हा’ भी कहते हैं, एक ऐसा ज़िला है जहाँ इतिहास, धर्म, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम की गूंज आज भी सुनाई देती है। प्रतापगढ़ का नाम राजा प्रताप बहादुर (1628–1682) के बनाए किले ‘प्रतापगढ़’ से पड़ा। जब 1858 में जिले का पुनर्गठन हुआ, तब इसका मुख्यालय बेल्हा में बना और तब से बेल्हा-प्रतापगढ़ के नाम से जाना जाने…
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