अहिल्याबाई होळकर: न्यायप्रिय शासिका, जिसने विकास को पूजा समझा

अहिल्याबाई होळकर, मराठा साम्राज्य की एक ऐसी रानी थीं, जिनके विकास कार्य आज की सरकारों को आइना दिखाते हैं। एक समय जब राजा अपनी तिजोरी से जनसेवा करते थे, आज के नेता सरकारी खजाने से “जन-सेवा के नाम पर” सेल्फी लेते हैं। बीजेपी ने खुर्शीद को गले लगाया, राहुल को 1000 साल का PM बैन! जन्म और शुरुआती जीवन 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गांव में जन्मी अहिल्याबाई, न सिर्फ एक रानी थीं बल्कि सामाजिक सुधार की अग्रदूत भी थीं। विधवा होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं…

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रानी अहिल्याबाई पर प्रदर्शनी- योगी और बी.एल. संतोष रहेंगे मौजूद

राजधानी लखनऊ आज ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने जा रही है, जब पुण्यश्लोक लोकमाता रानी अहिल्याबाई होलकर के जीवन चरित्र पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जाएगा। यह कार्यक्रम दोपहर 12:30 बजे, लखनऊ के जीपीओ पार्क, हजरतगंज में आयोजित किया जाएगा। सरकारी नौकरी चाहिए? NTPC में खुली बंपर वैकेंसी, लिमिटेड टाइम ऑफर प्रदर्शनी का उद्घाटन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी. एल. संतोष, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी तथा प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह द्वारा किया जाएगा। ऐतिहासिक विरासत से…

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वाह दत्त सुलतान, हिंदू का धर्म, मुसलमान का ईमान, आधा हिंदू आधा मुसलमान

हुसैनी ब्राह्मण एक अद्वितीय समुदाय है जो मुख्य रूप से मोहयल ब्राह्मणों से संबंधित है। यह समुदाय विशेष रूप से पंजाब, जम्मू, दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। इनका इतिहास और संस्कृति हिंदू और इस्लामिक परंपराओं का मिश्रण है, जो भारतीय उपमहाद्वीप की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। वक्फ़ बोर्ड में अब गैर-मुस्लिम भी! केंद्र बोला: धर्मनिरपेक्ष है प्रबंधन करबला युद्ध में भागीदारी: किवदंती के अनुसार, मोहयल ब्राह्मणों के दत्त उपवंश के एक सदस्य, रहब सिद्ध दत्त, ने इमाम हुसैन…

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सिर्फ’राजा भैया’ ही नहीं, एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत है प्रतापगढ़

उत्तर प्रदेश का प्रतापगढ़ जिला पूर्व मंत्री राजा भैया की वजह से सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस जिला की पहचान सिर्फ राजनीति या बाहुबली छवि से नहीं होनी चाहिए। प्रतापगढ़, जिसे स्थानीय लोग ‘बेल्हा’ भी कहते हैं, एक ऐसा ज़िला है जहाँ इतिहास, धर्म, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम की गूंज आज भी सुनाई देती है। प्रतापगढ़ का नाम राजा प्रताप बहादुर (1628–1682) के बनाए किले ‘प्रतापगढ़’ से पड़ा। जब 1858 में जिले का पुनर्गठन हुआ, तब इसका मुख्यालय बेल्हा में बना और तब से बेल्हा-प्रतापगढ़ के नाम से जाना जाने…

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