लखनऊ के मदेयगंज खदरा क्षेत्र में मोहर्रम की 10वीं तारीख पर परंपरा के अनुसार ताबूत का जुलूस निकाला गया और मजलिस आयोजित की गई। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। कर्बला की याद में गार वाली कर्बला पर ‘आग का मातम’ कर गहरा शोक व्यक्त किया गया। सबीलों की मिठास में बसी इंसानियत जुलूस के दौरान हर मोड़ पर शरबत और पानी की सबीलें लगाई गई थीं। जुलूस में शामिल हर व्यक्ति को ठंडा शरबत बांटा गया। यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि एकता और सेवा का जीवंत…
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बीबी ज़ैनब (स.अ.) की बहादुरी पर भावुक नौहा – कर्बला की सच्ची वारिस
जब कर्बला की तपती रेत पर इंसानियत का इम्तिहान हुआ, तब सिर्फ इमाम हुसैन (अ.स.) ही नहीं, बल्कि उनकी बहन बीबी ज़ैनब (स.अ.) भी इतिहास रच रही थीं। ज़ैनब का किरदार सिर्फ एक बहन का नहीं, बल्कि हिम्मत, सब्र और आवाज़-ए-हक़ की पहचान है। 6 जुलाई की रात ‘तबाही’ लाएगी? ईरान का ट्रिपल अटैक प्लान नौहा: ” बीबी ज़ैनब ने जब कर्बला देखा…” बीबी ज़ैनब ने जब कर्बला देखा,आंखों से आंसू, दिल से खुदा देखा।भाई के लाशों पर खड़ी रही,ज़ालिमों का भी सामना बे-ख़ौफ़ किया। क़ैद में चादर छीनी गई,पर…
Read Moreआज चाँद की तस्दीक हो गई, 27 जून को पहली मुहर्रम
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम चांद के दीदार के साथ शुरू हो गया है। यह महीना मुस्लिम समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान हजरत इमाम हुसैन (अ.स) और उनके 72 साथियों की कर्बला में दी गई शहादत को याद किया जाता है। इस माह के दौरान ताजिए और शोक की परंपरा विशेष रूप से देखने को मिलती है, और साथ ही हिजरी साल 1447 की शुरुआत भी होती है। हुसैन जिए ज़ुल्म के ख़िलाफ़… और अमन के लिए शहीद हुए कर्बला की घटना: बलिदान और संघर्ष…
Read Moreहुसैन जिए ज़ुल्म के ख़िलाफ़… और अमन के लिए शहीद हुए
इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत मोहर्रम से होती है, लेकिन ये कोई जश्न नहीं – एक ऐसा महीना है जो पूरी दुनिया को इंसाफ़, कुर्बानी और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ खड़े होने का पाठ पढ़ाता है। आज से करीब 1400 साल पहले कर्बला की तपती रेत पर वो जंग लड़ी गई थी जिसमें सिर्फ़ हथियार नहीं, आदर्श, उसूल और इंसानियत टकरा रहे थे। पैग़ंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन, जिनका गुनाह सिर्फ इतना था कि उन्होंने अन्याय के सामने सिर झुकाने से इनकार कर दिया – उन्हें और उनके 71 साथियों…
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