
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में अनंतनाग निवासी सैयद हुसैन शाह की भी जान चली गई। वह पर्यटकों को घोड़े पर सवारी कराते थे और अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे। परिवार की हालत इस खबर के बाद से बेहद खराब है। शाह की मां ने ANI से बातचीत में कहा:
“मेरा बेटा ही घर का सहारा था। वो सिर्फ मेहनत करने गया था। हमें उसका शव मिला, लेकिन इंसाफ नहीं मिला। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।”
शाह के एक रिश्तेदार ने बताया:
“उन्हें हमले के वक्त फोन किया लेकिन जवाब नहीं मिला। बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। हम न्याय की मांग करते हैं।”
सैयद हुसैन शाह उन 26 लोगों में शामिल हैं जिनकी इस हमले में जान गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक और मजदूरी से जुड़े लोग थे।
स्थानीय विरोध और अपील:
हमले के बाद इलाके में भारी रोष है। स्थानीय मस्जिदों और समुदायों ने भी आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हुए शांति और एकता की अपील की है।
सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवज़ा देने की घोषणा की है, और यह कहा गया है कि जांच एजेंसियां दोषियों को पकड़ने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं।
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सैयद हुसैन शाह जैसे मेहनती नागरिकों की इस तरह हत्या, केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि मानवता पर हमला है। अब पूरा देश एकजुट होकर न्याय की मांग कर रहा है।
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सैयद हुसैन शाह की शहादत एक सवाल छोड़ती है – क्या मजदूरी करने गए लोग भी सुरक्षित नहीं हैं? क्या वक़्त नहीं आ गया कि अब आतंक के खिलाफ एक निर्णायक कदम उठाया जाए?