
दिल्ली की Rouse Avenue Court ने एक पुराने लेकिन राजनीतिक रूप से ‘हमेशा फ्रेश’ रहने वाले विवाद पर फिर से हलचल मचा दी है।
कोर्ट ने बिना भारतीय नागरिकता लिए 1980 की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम शामिल होने के आरोप पर सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर दिया है।
अगली सुनवाई—6 जनवरी 2026। राजनीति में New Year की शुरुआत अब कोर्टरूम रोमांच के साथ होगी!
याचिका क्या कहती है?
वकील विकास त्रिपाठी की रिवीजन पिटीशन के अनुसार, 1980 में सोनिया गांधी का वोटर लिस्ट में नाम था। जबकि उन्होंने 30 अप्रैल 1983 को ही भारतीय नागरिकता हासिल की। सवाल: “जिनके पास Citizenship नहीं थी, उनका नाम वोटर लिस्ट में किस मैजिक से आ गया?”
सितंबर 2025 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह केस खारिज कर दिया था। अब इस फैसले को चुनौती दी गई—और कोर्ट ने कहा, “ठीक है, पहले जवाब दिजिए।”
याचिका में उठे बड़े सवाल
याचिकाकर्ता के अनुसार यह तथ्य जांच के दायरे में आएं:
1980 में नाम शामिल हुआ—आधार क्या था?
1982 में नाम हटाया गया—कारण क्या था?
अगर 1983 में नागरिकता मिली, तो 1980 में वोटर लिस्ट के लिए कौन-से दस्तावेज लगे?’’
क्या उस समय फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया?

इन सवालों पर कोर्ट ने सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस दोनों से विस्तृत जवाब तलब किया है।
मजिस्ट्रेट कोर्ट का पुराना फैसला फिर बहस में
सितंबर 2025 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पाया कि एफआईआर या जांच की ज़रूरत नहीं है। लेकिन रिवीजन पिटीशन के बाद मामला एक बार फिर लाइमलाइट में। और 1980 की वोटर लिस्ट—जो तब सिर्फ एक कागज थी—अब 2026 की राजनीति में “Breaking News Material” बनी हुई है।
पुरानी फाइल, नया तूफ़ान!
भारत की राजनीति में पुराने मामले कभी रिटायर नहीं होते—वे बस सही वक्त पर कमबैक करते हैं। सोनिया गांधी से कोर्ट का यह जवाब मांगना निश्चित रूप से आने वाले महीनों में राजनीतिक तापमान बढ़ाएगा।
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