सोनम मामला: सुप्रीम नोटिस, पत्नी की याचिका पर अगली सुनवाई 14 को

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

जब पर्यावरण कार्यकर्ता और इनोवेटर सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया गया, तो उनकी पत्नी डॉ. गीतांजलि सीधे पहुंच गईं सुप्रीम कोर्ट — वो भी संविधान की अनुच्छेद 32 की धारा पकड़कर!

याचिका: “हमें तो बस ये जानना है कि उन्हें क्यों पकड़ा गया।”
कोर्ट: “ये तो बताना पड़ेगा।”
सरकार: “कानून कहता है नहीं बताना पड़ेगा।”
जनता: “तो फिर कानून को कौन समझाए?”

याचिका हैबियस कॉर्पस की, लेकिन सरकार का जवाब ‘कॉर्पस’ से ज़्यादा ‘कॉमेडी’ जैसा

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में पूरी गरिमा से कहा – “कम से कम पत्नी को तो बताइए, किस जुर्म में बंद हैं पति।”

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का जवाब था – “बताया जा चुका है… हाँ, पत्नी को नहीं बताया, लेकिन कोई क़ानूनी ज़रूरत भी नहीं!”

बिलकुल वैसे ही जैसे कोई कहे – “फीस जमा हो गई है, बस स्कूल को नहीं बताया।”

मेडिकल फैसिलिटी नहीं? “इमोशनल कार्ड” मत खेलो!

सिब्बल बोले – वांगचुक को न इलाज मिल रहा, न पत्नी से मिलने की इजाज़त।
सरकार बोली – “ये सब भावनात्मक मुद्दे हैं, क़ानूनी नहीं।”

सवाल ये नहीं कि वांगचुक को प्यार चाहिए या पानी, सवाल ये है कि देश में मानवाधिकार के लिए अब दिल टूटना भी लॉजिकली इर्रेलेवेंट हो गया है?

अगली तारीख — 14 अक्तूबर

सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 14 अक्टूबर की तारीख तय की है। इतना तय है कि अगली तारीख तक देश में और भी बहुत कुछ बदल सकता है — पर क़ानून की संवेदना? शायद नहीं।

यह वांगचुक हैं, कोई फिल्मी विलेन नहीं

सोनम वांगचुक वही इंसान हैं जिनके मॉडल पर बॉलीवुड का ‘फन टाइमर Rancho’ बना था। पर रियल लाइफ की कहानी में “Aal Izz Not Well” चलता दिख रहा है।

अब सवाल जनता से…

क्या सिर्फ़ चुपचाप हिरासत में लिया जाना ही काफ़ी है?
या किसी के “Whereabouts” जानने का हक़ अब इमोशनल ड्रामा कहलाने लगा है?

पत्नी से पूछकर पति की सज़ा तय नहीं होती, लेकिन… कम से कम बता तो सकते हैं न क्यों सज़ा दे रहे हो?
ये कोर्ट है, बिग बॉस का कन्फेशन रूम नहीं।

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