
महाराष्ट्र की राजनीति में जहां एक तरफ राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के मिलन की सुगबुगाहट है, वहीं दूसरी ओर एकनाथ शिंदे सीधे गांव की मिट्टी में उतरकर “पौधारोपण की राजनीति” कर रहे हैं।
हाँ जी, डिप्टी सीएम साहब खुद फावड़ा-कुदाल उठाकर खेत में एवोकाडो उगा रहे हैं। क्योंकि जब दिल्ली में राज चलाना भारी लगे, तो सतारा की मिट्टी ही सच्चा आराम देती है!
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एवोकाडो: फल नहीं, ‘फ्यूचर पॉलिसी’ है!
एकनाथ शिंदे ने अपने खेत में रूचिरा यानी कि एवोकाडो लगाया।
क्यों? क्योंकि ये फल है हेल्थी, और इमेज है पॉलिटिकली वैल्थी!
“हृदय के लिए फायदेमंद, और शायद पार्टी के लिए भी!”
खेती भी, राजनीति भी – शिंदे का मल्टीटास्किंग मोड ऑन!
पिछली बार स्ट्रॉबेरी, हल्दी और बांस लगाए थे। इस बार एवोकाडो लगाया। आगामी चुनाव में शायद ‘बेलन’ भी बो दें — हर वार असरदार!
राजनीति से विराम या रणनीति का नया अध्याय?
अब सवाल ये उठता है:
“क्या शिंदे जी नाराज़ हैं? या बस थक कर प्रकृति की गोद में आराम फरमा रहे हैं?”
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की निकटता को देखते हुए क्या शिंदे जी का ये ‘गांव दौरा’ महज छुट्टी है, या पॉलिटिकल हार्वेस्टिंग की तैयारी?
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कैमरे के साथ फावड़ा भी उठाया!
एकनाथ शिंदे की फावड़ा-थैरेपी की तस्वीरें देखकर इतना तो तय है कि:
PR टीम एक्टिव है,
कैमरा एंगल परफेक्ट है,
और कैप्शन कुछ यूं है: “नेता वही, जो खुद अपने खेत में पसीना बहाए!”
एवोकाडो के फायदे – स्वास्थ्य भी, सुर्खियां भी!
एवोकाडो के गंभीर फायदे भी बता दें:
हेल्दी फैट्स: कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल
फाइबर: पाचन शक्ति में बढ़ोतरी
विटामिन K, E, C, B6: त्वचा से लेकर आंखों तक के लिए टॉनिक
तेल: बालों में लगाएंगे तो चमकदार, राजनीति में लगाएंगे तो滑नदार!
खेत में पसीना, राजनीति में समीकरण!
शिंदे जी का यह ‘एवोकाडो अवतार’ सिर्फ खेती नहीं, एक संकेत है। राजनीति में सब कुछ सीधा नहीं होता—यहां फावड़े के नीचे भी संदेश छुपा होता है!
अब देखना यह है कि एवोकाडो पहले पकता है या महाराष्ट्र की अगली राजनीतिक खिचड़ी!