
2027 के यूपी विधानसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है — और उसी के साथ समाजवादी पार्टी को जेल से नई ऊर्जा मिली है। पांच बड़े सपाई नेता अब सलाखों के पीछे नहीं, सियासी मंच पर वापसी की तैयारी में हैं। कार्यकर्ताओं में जोश है, विरोधियों में खलबली।
चलिए जानते हैं – कौन हैं ये ‘पॉलिटिकल रिटर्निंग ऑफिसर्स’, जो अब जेल से निकलकर वोटों की गिनती का हिसाब पूरा करने आए हैं।
आजम खान: मुकदमों से जूझते रहे, पर ‘लाल टोपी’ नहीं उतरी
मुकदमे: 100+
जेल यात्रा: 2 बार
टोटल टाइम: 50 महीनों के आस-पास
स्टेटस: 23 सितंबर 2025 को रिहा
2017 में योगी सरकार आई और आजम खान पर मुकदमों की बारिश हुई — जैसे मानसून भी शर्म से छिप जाए। पहली बार 2020 में जेल गए, फिर 2023 में दोबारा गए और अब 2025 में बाहर आए।
सवाल उठता है:
क्या आजम अब सपा को “आजमाना” बंद कर देंगे या 2027 में फिर से मोर्चा संभालेंगे?
जुगेंद्र सिंह यादव: पंचायत से पजामे तक, सब कुछ राजनीतिक!
जेल: मार्च 2023 से
अपराध: गैंगस्टर, रेप, लूट, ज़मीन कब्जा
स्टेटस: भाई के साथ रिहा
अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले जुगेंद्र पर मुकदमे हैं — इतने कि गिनने बैठो तो Excel शीट क्रैश कर जाए। अब जेल से बाहर आकर कह रहे हैं:
“2027 में पॉलिटिकल कमबैक पक्का है!”
रामेश्वर यादव: अलीगंज के ‘त्रिकालदर्शी’ विधायक
MLA: 1996, 2002, 2012
जेल: भाई के साथ
स्टेटस: अब फ्री
तीन बार के विधायक रह चुके हैं, और अभी भी चेहरा पॉलिटिकली चालू है। अब सवाल ये है कि जनता उनके ‘तीन कार्यकालों’ को याद रखेगी या ‘तीन साल की जेल’ को?
इरफान सोलंकी: वोटों से विधायक, आरोपों से पूर्व विधायक
MLA: 5 बार
जेल यात्रा: 34 महीने
स्टेटस: अब रिहा, पर विधायकी गई
कानपुर के इरफान सोलंकी का मामला ऐसा है कि राजनीति और क्राइम थ्रिलर का मिलाजुला संस्करण बन चुका है। जेल में रहे, विधायकी गई, लेकिन उम्मीदें अब भी ज़िंदा हैं – पार्टी और पब्लिक दोनों की।
उमर अंसारी: छोटा माफिया या बड़ा नेता?
क्राइम: फर्जी हस्ताक्षर
जेल यात्रा: 39 दिन
स्टेटस: अब बाहर
मुख्तार अंसारी के बेटे और सपा परिवार के ‘पासपोर्ट होल्डर’ उमर अंसारी अब बाहर हैं। भले ही खुद सपा में नहीं हैं, लेकिन चाचा सांसद, भाई विधायक – पार्टी का खून दौड़ ही रहा है नसों में।
क्या रिहाई बनेगी सपा की ‘संजीवनी’?
इन नेताओं की वापसी से सपा को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी — खासकर पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी में। लेकिन साथ में ये भी पूछ रहे हैं:
“जनता इनकी वापसी को स्वागत समझेगी या सजा की माफी?”
“मथुरा में बादल आते हैं, बरसते नहीं – क्या करें, वो भी टूरिस्ट हैं!”

