
भारत और पाकिस्तान के बीच जो ‘शांति की चाय’ शाम को उबाल पर थी, वो रात होते-होते फिर से ‘गोलीबारी का काढ़ा’ बन गई। दोनों देशों के डीजीएमओ (DGMO) के बीच बनी सीजफायर सहमति महज कुछ घंटे ही टिक सकी।
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शाम 6 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि पाकिस्तान ने दोपहर 3:35 बजे पहल की और शाम 5:00 बजे से सभी मोर्चों पर सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी। समुद्र, ज़मीन और आकाश – तीनों ही क्षेत्रों में शांति का वादा किया गया। पर पाकिस्तान का भरोसा, वाई-फाई जैसा निकला – कमजोर सिग्नल आते ही कनेक्शन टूट गया।
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बातचीत की पहल पाकिस्तान से, पर फायरिंग की भी!
शांति की बातों के बीच पाकिस्तान ने फिर वही किया जो वो 1947 से कर रहा है – ‘बातों में दोस्ती, बारूद में दुश्मनी’। सेना सूत्रों के अनुसार, सीजफायर के कुछ ही घंटों बाद LOC के दो सेक्टर्स में गोलाबारी की खबर आई है।
मिस्री बोले: “फिर से बात होगी, लेकिन भरोसा कम है”
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “12 मई को दोपहर 12 बजे फिर से बातचीत तय है। उम्मीद है इस बार पाकिस्तान अपनी बंदूकें साथ लाए बिना ही कॉल करेगा।”
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सीजफायर = पाकिस्तान का Snooze Alarm
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शांति का हर प्रयास सराहनीय है, लेकिन पाकिस्तान के साथ शांति की गारंटी देना वैसा ही है जैसे बिना सीटबेल्ट के रोलर कोस्टर में बैठना। भारत ने एक बार फिर संयम दिखाया, लेकिन ये संयम ज्यादा दिन न चला तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
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“शेर शांत हो सकता है, पर शिकार करना भूला नहीं करता।”
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