सिंदूर नहीं, ये सर्जिकल स्ट्राइक की लिपस्टिक थी

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

आधी रात भारत की सेना ने एक चुप्पा चार धप्पा करते हुए पीओके में घुसकर आतंकियों के आशियाने उजाड़ दिए। जिस पाकिस्तान को लगता था कि भारत सिर्फ चुनाव के टाइम बम फोड़ता है, उसे इस बार नींद से उठते ही पता चला कि सेना ने उनके “आतंकी दामादों” को तीर्थ यात्रा पर भेज दिया है।

ऑपरेशन सिंदूर पर इसराइल का समर्थन- भारत के आत्मरक्षा के अधिकार के साथ हैं

इस पूरे कांड पर भारत के BFF इसराइल ने तुरंत X पर पोस्ट ठोका –

भारत का आत्मरक्षा का अधिकार पूरी तरह जायज़ है। आतंकियों को अब छुपने की जगह नहीं मिलेगी।

मतलब मामला अब पारिवारिक समर्थन तक पहुंच चुका है। बहन के साथ खड़ा भाई — वो भी मिसाइल लेकर!

पाकिस्तानी चैनलों पर बैठे विशेषज्ञ अब ये समझा रहे हैं कि

“हमने तो आतंकियों को पाल रखा था, मारे तो अपने ही निकले!”

अच्छा खासा पाकिस्तान अब कन्फ्यूज है — हमला भारत ने किया या खुदा ने?
ग़लतफहमी में मारे गए Launchpad अब Jannat में इंतज़ार कर रहे हैं, कोई वज़ू लेकर आए।

भारतीय न्यूज़ चैनलों ने तो ऑपरेशन को “ऑपरेशन मंगलसूत्र” बना दिया है। ग्राफिक्स में सिंदूर, मांग, और रॉकेट सब उड़ रहे हैं।

इस बार भारतीय सेना ने न कोई चेतावनी दी, न कोई मीठी चाय का न्योता।

सीधा ऑपरेशन सिंदूर — और पाकिस्तान के माथे से वो नकली “शांति सिंदूर” उड़ कर गिरा, जिसमें आतंकियों की परछाइयाँ बसी थीं।

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने बताया कि ये हमले पूरी तरह सटीक, नियंत्रित और ‘गैर-उकसावे’ वाले थे। यानी पाकिस्तान को चाय नहीं, चेतावनी भी नहीं दी – सिर्फ़ हिसाब किया गया।

पर भारत ने इस बार उन्हें TRP भी नहीं दी। बस ऑपरेशन किया और आगे बढ़ गया। शायद अगली बार पाकिस्तान का नाम पाठ्यपुस्तकों में आए — “कैसे न करें पड़ोसियों से दुश्मनी?”

इस बार ‘सिंदूर’ गिरा है, अगली बार शायद ‘सिस्टम’ ही हिल जाए

भारत अब 2025 में है, पाकिस्तान अब भी 1947 में अटका है। और अगर ऐसे ही चलता रहा तो अगली बार Google Map से भी अटक सकता है।

“सीमा पार से हो रहे हमलों का जवाब देना भारत का अधिकार है”: विदेश सचिव विक्रम मिसरी

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