“सीमा पार से हो रहे हमलों का जवाब देना भारत का अधिकार है”: विदेश सचिव विक्रम मिसरी

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत ने यह जवाबी हमला पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान में स्थित आतंकी ढाँचों पर किया है, जो पिछले कई महीनों से भारत के खिलाफ सक्रिय थे।

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“कार्रवाई केंद्रित, संतुलित और गैर-उत्तेजक थी”

मिसरी ने साफ किया कि भारत की यह सैन्य कार्रवाई न तो आक्रामक विस्तारवाद की नीति थी, न ही किसी प्रकार का युद्ध न्योता।

“यह एक केंद्रित, नपी-तुली और गैर-बढ़ावा देने वाली प्रतिक्रिया थी। यह कार्रवाई भारत की सुरक्षा के अधिकार और आतंकवाद से निपटने की प्रतिबद्धता के तहत की गई है।”

 “पहलगाम हमला एक बर्बर कृत्य था”

विदेश सचिव ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को “अत्यधिक बर्बर” बताते हुए कहा कि इसका मकसद घाटी में सामान्य होती स्थिति को फिर से अस्थिर करना था।

“यह हमला जम्मू-कश्मीर में विकास, स्थिरता और शांति को नुकसान पहुँचाने तथा सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश का हिस्सा था।”

“पाकिस्तान ने अब तक आतंकी ढाँचे खत्म नहीं किए”

मिसरी ने पाकिस्तान पर कड़े आरोप लगाते हुए कहा कि वह आतंकी नेटवर्कों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है।

“हमने कई बार दुनिया को चेताया कि पाकिस्तान से संचालित आतंकी ढाँचे भारत के लिए खतरा हैं। पर आज तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया।”

“संयुक्त राष्ट्र की भी नजर”

विदेश सचिव ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने हालिया पहलगाम हमले के बाद बयान जारी किया था। उन्होंने कहा कि भारत की आज की सैन्य कार्रवाई को उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए — एक संयमित जवाब, जो आतंकी नेटवर्क को निष्क्रिय करने के लिए उठाया गया है।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी के इस बयान से स्पष्ट है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ केवल “सहने” की नीति पर नहीं, बल्कि “सटीक जवाब” की नीति पर आगे बढ़ रहा है। यह कूटनीतिक स्तर पर भी एक संकेत है कि भारत की सैन्य कार्रवाई न तो उकसावे वाली है, न ही अनियंत्रित – यह अंतरराष्ट्रीय मानकों और आत्मरक्षा के अधिकार के तहत है।

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